दीपक शर्मा, देनवा पोस्ट एक्सक्लूसिव। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में चौक चौराहों पर इस बार सत्ता परिवर्तन की चर्चा थी. अमूमन अधिकांश इस बार परिवर्तन की बात कहते हुए कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में लगे थे. बड़ा सवाल यह है कि जब चौक चौराहों पर मतदान के बाद परिवर्तन की चर्चा थी, अधिकांश एग्जिट पोल भी कांग्रेस की सरकार बना रहे थे, तो फिर मध्य प्रदेश में बीजेपी कैसे प्रचंड बहुमत की ओर आगे बढ़ गई है. दरअसल चौक चौराहों पर जो चर्चा हुई वह वो चर्चा थी जो पुरुष मतदाताओं के द्वारा एक दूसरे से कही गई. बीजेपी का अधिकांश पुरुष वोटर चुप्पी साधा रहा और लाडली बहनों ने वोट के रूप में जो अपने भैया को भरपूर आशीर्वाद दिया था उसकी चर्चा चौक चौराहों तक पहुंची ही नहीं. यही कारण रहा की चौक चौराहों पर तो सत्ता परिवर्तन की बातें खूब हुई पर रिजल्ट उसके ठीक विपरीत आ गया.
क्या लाडली को काउंटर नहीं कर सका नारी सम्मान
बीजेपी ने अपने प्रचार में केंद्र में लाडली बहन योजना को रखा. जिसमें शुरुआत में 1000 और बाद में ₹3000 प्रति माह तक देने की बात कहीं गई. चुनाव से ठीक पहले 1250 रुपए प्रति माह तक मिलने भी लगे. पर कांग्रेस नारी सम्मान योजना में सिर्फ ₹1500 प्रतिमाह देने के अपने वादे पर अड़ी रही. क्या इससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा, निश्चित तौर पर अब राजनीतिक पंडित इस मुद्दे पर भी अपने गणित बिठाएंगे. पर इतना तो तय है कि कांग्रेस के नारी सम्मान योजना पर बीजेपी की लाडली बहन बहुत भारी पड़ गई.