मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर रणनीतिक बढ़त बना ली है। दूसरी सूची भी जल्द सामने आ सकती है। भाजपा ने हारी सीटों पर लिए फीडबैक के आधार पर रणनीति बनाई और उसी के तहत चुनावों से करीब 100 दिन पहले 39 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की चुनावी रणनीति की कमान अपने हाथों में ले रखी है। ऐसे में उन्होंने फीडबैक के आधार पर टिकट की गाइडलाइन भी बनाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 70 साल से अधिक उम्र के विधायकों के टिकट कटेंगे। नेता के परिवार के सदस्यों को भी टिकट तभी मिलेंगे, जब उनकी जीत की गारंटी हो। पार्टी परिवारवाद और वंशवाद से दूर रहना चाहती है। इस वजह से जो बुजुर्ग नेता या विधायक अपने परिवार में टिकट मांग रहे हैं, उन्हें निराशा हाथ लग सकती है।
हारे हुए उम्मीदवारों से परहेज नहीं
भाजपा ने पहली सूची में उन 39 विधानसभा क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की हैं, जहां एक या दो चुनाव से पार्टी हार रही थी। कभी जीती भी थी तो बहुत कम अंतर से। इन्हें सी और डी कैटेगरी की सीटों में रखा गया था। हैरानी की बात तो यह है कि 14 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, जो पहले हार चुके हैं। इसी तरह छह पूर्व विधायकों को टिकट दिया है, जिनके टिकट 2018 में काटे गए थे। फिर ऐसी सीटें भी हैं जहां भाजपा प्रत्याशी की हार दस हजार से कम वोट से हुई थी। इस लिस्ट से यह स्पष्ट है कि भाजपा सिर्फ उन नेताओं पर भरोसा कर रही है, जिनके पास जीतने की ताकत है। जो सीट निकालने का माद्दा रखते हैं।
चुनावी तैयारी के लिए वक्त देना है
अमित शाह को प्रदेश में हारी सीटों से जो फीडबैक मिला, उसमें सबसे बड़ा मुद्दा चुनावी तैयारी के लिए वक्त की कमी का था। उम्मीदवारों का कहना था कि वक्त मिलता तो वे माहौल बना सकते थे। उन्हें इतना वक्त ही नहीं मिला कि वह कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाली सीटों पर हार को जीत में बदल सके। इस वजह से चुनाव से 90 दिन पहले टिकट तय हुए हैं। जल्द ही अन्य हारी सीटों पर भी भाजपा अपने उम्मीदवार घोषित कर सकती है। इसकी तैयारी और फीडबैक का काम पूरा हो चुका है।
70 पार को नहीं बनाएंगे उम्मीदवार
पार्टी ने तय किया है कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। इससे गोपाल भार्गव समेत कम से कम दस विधायकों के टिकट कटने की संभावना बताई जा रही है। आठ बार के विधायक गोपाल भार्गव 72 के हो चुके हैं। ऐसे में उनके बेटे अभिषेक का दावा भी मजबूत बताया जा रहा है। हालांकि, अमित शाह की गाइडलाइन साफ है कि टिकट सिर्फ जिताऊ उम्मीदवार को दिया जाएगा। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि रहली विधानसभा से भाजपा किसे उतारती है। वैसे, पहली लिस्ट में 39 में से दो उम्मीदवारों की आयु 70 वर्ष से अधिक है। इस आधार पर कहा जा रहा है कि जिताऊ प्रत्याशी के लिए उम्र के नियम को दरकिनार किया जा सकता है।
पहली सूची ने जगाई उम्मीद
पहली सूची में भाजपा ने 50 से कम उम्र के 17 उम्मीदवारों को रखा है। वहीं, 50 से 60 वर्ष की आयु के बीच 13 उम्मीदवार हैं। पहली लिस्ट में युवाओं को बराबरी से तवज्जो दी जा रही है। आगे आने वाली सूचियों में भी यह ट्रेंड दिख सकता है। इसके साथ ही स्थानीय समीकरणों पर फोकस किया गया है। चार महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के साथ ही अजा की आठ और अजजा की 13 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि 18 अनारक्षित सीटों में से सिर्फ पांच पर ही सामान्य उम्मीदवारों को उतारा गया है। वहीं, 13 उम्मीदवार अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। मध्य प्रदेश की आबादी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग को आगे भी उम्मीदवारी में तरजीह मिलने वाली है।