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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद अब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों का फोकस पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में शिफ्ट होने जा रहा है। वही हिंदी पट्टी के अहम राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दोनों पार्टीयों के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। इन तीनों राज्यों में मध्यप्रदेश ही एकमात्र राज्य है जहां अभीें भाजपा की सरकार है। बाकी दोनों जगह भाजपा विपक्ष की भूमिका है। बीजेपी की यही कोशिश रहेगी कि 2023 में वह तीनों राज्यों को अपने हांथ मे ले।
कर्नाटक के चुनाव परिणाम का सीधा आने वाले समय मे मध्यप्रदेश की राजनीति पर देखने को मिलेगा। छह महीने बाद प्रदेश में चुनाव होना हैं। यहां भी भाजपा के कमोबेश वैसे ही हाल हैं, जो कर्नाटक में थे। कर्नाटक की तरह ही मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है। जिसे कांग्रेस भुनाने में कोई कसर नही छोड़गी। वही शिवराज सरकार की बात करे तोे मंत्रियों पर सबसे ज्यादा आरोप लगे हैं। सरकार में अफसरशाही के दबदबे के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की नाराजगी भी सबसे अहम मुद्दा हैं। शिवराज सरकार ने जनता को अपने पक्ष में करने के लिए अनेक लोकलुभावन घोषणा की उसके बावजूद सर्वे रिपोर्ट ंभाजपा पक्ष मे नजर नही आ रही है। वही मुख्यमंत्री की बात करे तो पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं में गहरी नाराजगी हैं।
गुजरात फार्मूला से नही चलेगा काम बनानी होगी नई रणनीति।
कर्नाटक मे आये चुनाव परिणामों ने केंद्रीय नेतृत्व को परेशानी में डाल दिया है। भाजपा हाईकमान लंबे समय से एमपी में सत्ता और संगठन में परिवर्तन करने की तैयारी कर रहा था। अब इन तैयारियों को अमलीजामा पहनाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। कर्नाटक परिणाम उन नेताओं के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की आशंका जताई जा रही थी। जिन नेताओं को चुनाव में टिकट कटने का डर सता रहा था, वे अभी फिलहाल राहत की सांस ले सकते हैं। बीजेपी नेतृत्व मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में गुजरात फार्मूला लागू करने की तैयारी कर रहा है। अब पार्टी को नई रणनीति पर भी काम करना पड़ सकता है। क्योकि एमपी के हालात भाजपा के पक्ष मे नजर नही आ रहे है। गुजरात में एंटी इनकंबेंसी से निपटने के लिए पार्टी ने करीब 40 फीसदी सीटिंग विधायकों की जगह नए चेहरों को टिकट दिया था। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने के साथ कैबिनेट में भी बदलाव किया गया था। कर्नाटक के नतीजों के बाद बीजेपी को एमपी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी।
सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा हाईकमान मध्यप्रदेश को लेकर एक बड़ी सर्जरी कर सकता है। संगठन में फेरबदल होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। चुनाव को सिर्फ पांच माह बचे है ऐसे मेे पार्टी सीएम बदलकर अब कोई खतरा नहीं लेना चाहेगी। क्योंकि अगर पार्टी ने सीएम बदला जाता है तो जनता के सामने चेहरे का संकट होगा। आने वाले दिनों में किसी केंद्रीय स्तर के नेता को प्रदेश की जिम्मेदारी मिल सकती ताकि चुनाव से पहले सत्ता संगठन के बीच तालमेल बनाया जा सके।