केपी यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया
सिंधिया को सवा लाख वोटों से हराया था
केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के चुनाव में सवा लाख वोटों से हराया था। इसके बाद 2020 में सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उनको राज्यसभा सदस्य बना कर केंद्र में मंत्री बनाया था। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को केपी यादव का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान 26 अप्रैल 2024 को गुना में एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी केपी यादव की प्रशंसा करते हुए कहा था कि उनकी चिंता भाजपा करेगी और उन्हें आगे बढ़ाने की सभी जिम्मेदारियां पार्टी संभालेगी। इस बयान के बाद ऐसा लगने लगा था कि राज्यसभा की खाली सीट पर केपी यादव को मौका मिलेगा, लेकिन भाजपा ने जॉर्ज कुरियन को उम्मीदवार बनाकर इन अटकलों पर विराम लगा दिया है।
जॉर्ज कुरियन दूसरे बाहरी नेता
जॉर्ज कुरियन का चयन इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वे मध्यप्रदेश से राज्यसभा में जाने वाले दूसरे बाहरी नेता होंगे। इससे पहले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तमिलनाडु के एल. मुरुगन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया था। जॉर्ज कुरियन का निर्विरोध चुना जाना लगभग तय है और उनका कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा, क्योंकि वे सिंधिया के राज्यसभा के बचे कार्यकाल को ही पूरा करेंगे। सिंधिया अब लोकसभा सदस्य हैं।
अब केपी यादव कहां एडजस्ट होंगे?
राज्यसभा से उम्मीदवार के एलान के बाद अब चर्चा है कि केपी यादव का क्या होगा? सियासी जानकारों का कहा है कि अब यादव को पांच साल लोकसभा चुनाव का इंतजार करना होगा या दूसरा विकल्प उनको निगम मंडल या संगठन में एडजस्ट किया जा सकता है। वहीं, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर कहा जा रहा है कि वे चुनाव होने तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की रेस में बने हुए हैं।
शाह का आश्वासन खाली जाएगा
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में खजुराहो में वीडी शर्मा के समर्थन में सभा को संबोधित करते हुए जनता से कहा था कि आप एक सांसद नहीं चुन रहे हैं, आप एक बड़ा नेता चुन रहे हैं। इसके बाद फरवरी 2020 में वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। वहीं, केपी यादव के मामले में शाह का आश्वासन फिलहाल खाली जाता दिख रहा है।