भोपाल। प्रदेश में नगरीय क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों में लापरवाही और अनियमितताओं को लेकर सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की है जो गुणवत्ता के साथ समझौता कर रहे थे या फर्जी दस्तावेजों के सहारे निविदा प्रक्रिया में शामिल हुए थे। विभाग ने आठ ठेकेदार कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर आगामी सभी निविदा प्रक्रियाओं से बाहर कर दिया है।
गुणवत्ता और पारदर्शिता प्राथमिकता:
आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास संकेत भोंडवे ने बताया कि यह कार्रवाई विभाग की गुणवत्ता सुधार और कार्यों की गति तेज करने की मिशन योजना का हिस्सा है। कार्यों की तकनीकी जांच और दस्तावेजों के परीक्षण में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिसके आधार पर यह सख्त कदम उठाया गया।
उन्होंने कहा, “जो ठेकेदार गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं या फर्जी कागजातों के सहारे निविदा प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं, उनके लिए प्रदेश की योजनाओं में कोई स्थान नहीं है। ब्लैकलिस्ट की गई कंपनियां अब लोक निर्माण विभाग के पोर्टल पर भी काली सूची में रहेंगी।”
ब्लैकलिस्ट की गई कंपनियां इस प्रकार हैं:
1. मेसर्स यादव ट्रेडर्स – खरगोन
2. मेसर्स हेमंत जैन एंड एसोसिएट्स – इंदौर
3. मेसर्स कार्तिक इंटरप्राइजेस – इंदौर
4. मेसर्स शिवम कंस्ट्रक्शन – शिवपुरी
5. मेसर्स विक्की कुमार तुरकोलिया – चंपारण, बिहार
6. मेसर्स यशोदा मार्केटिंग – पटना, बिहार
7. मेसर्स के.एल.डी. क्रिएशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. – कानपुर, उत्तरप्रदेश
8. मेसर्स पौराणिक ट्रेडर्स – नागौद
अन्य कंपनियों पर भी कार्रवाई संभव:
आयुक्त ने बताया कि अमृत 2.0 योजना के तहत निविदा प्राप्त करने के बाद अनुबंध प्रक्रिया को अधूरा छोड़ने वाले 44 अन्य ठेकेदारों के खिलाफ भी विभागीय जांच चल रही है। गुण-दोष के आधार पर उनकी निलंबन अथवा ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है।
जनहित को नुकसान नहीं सहेंगे:
विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई आम जनता के हितों की रक्षा के उद्देश्य से की जा रही है ताकि नगरीय विकास योजनाएं तय समयसीमा और अपेक्षित गुणवत्ता के साथ पूरी हों। इससे शासन की योजनाओं में पारदर्शिता और कार्यों की विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी।