MP News: भोपाल के अचारपुरा में लगेगी 126 करोड़ रूपये की बिना बुना कपड़ा बनाने की इंडस्ट्री

MP News: Non-woven fabric manufacturing industry worth Rs 126 crore will be set up in Acharpura, Bhopal.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव
– फोटो : एएनआई

राजधानी भोपाल के अचारपुरा ओद्योगिक क्षेत्र में दुनिया की प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी टीडब्यूई-ओबीटी 126 करोड़ रूपये की बिना बुना कारपेट, रग्स आदि उत्पाद बनाने की इंडस्ट्री लगायेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज मंगलवार को अचारपुरा में इसका में भूमि-पूजन करेंगे। यह बहुराष्ट्रीय कंपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बिना-बुने फेब्रिक और अन्य उत्पाद बनाती है। इस इंडस्ट्री से 250 से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। यह इंडस्ट्री अचारपुरा के 38 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में स्थापित हो रही है और सितंबर 2025 से उत्पादन शुरू हो जायेगा। भारत में यह अपनी तरह की पहली मैन्युफेक्चरिंग यूनिट होगी, जो कि ग्रीन औद्योगिकरण के कीर्तिमान स्थापित करेगी।

यह इकाई स्थानीय लोगों में उच्च श्रेणी के तकनीकी कौशल सेट विकसित करेगी। इस इंडस्ट्री के लगने से 230 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होगा। राज्य में विक्रय के साथ-साथ इसके उत्पादों का निर्यात भी होगा। इस यूनिट की अत्याधुनिक बिल्डिंग संरचना टिकाऊ और यूएस एलईईडी प्रमाणित होगी। इस यूनिट में उत्पाद निर्माण से जल एवं वायु प्रदूषण नहीं होगा। इस यूनिट के विश्वस्तरीय हाइजिन द्वारा उत्पादों के निर्माण से (फ्लोर कवरिंग, फ्लेट फ्लोर कवरिंग, डोमेस्टिक फेल्टस, ऑटोमोटिव फेल्टस, रेण्डम वेलर, एडीएल, टॉप शीट, बैकशीट, ट्रंकलाइनर्स, हेड लाइनर्स, कार्पेट बेकिंग, डेशबोर्डस, अकॉस्टिक इंसुलेशन आदि) चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर निर्भरता कम होगी। इस इंडस्ट्री से केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएसएम) में काम आने वाले कई उत्पादों की आपूर्ति होगी।

बता दें कि टीडब्यूई-ओबीटी प्राइवेट लिमिटेड एक बहुराष्ट्रीय संयुक्त उद्यम है। इसका मुख्यालय एम्सडेटेन – जर्मनी और ओबीटी ग्रुप, भारत में है। ओबीटी 100 साल पुराना प्रसिद्ध समूह है जिसकी भारत में हस्तनिर्मित कालीन, गैर-बुने हुए कपड़े और तकनीकी वस्त्र, फर्नीचर और चाय के निर्माण में क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। यह दुनिया की सबसे बड़ी नॉन-बोवन विनिर्माण कंपनियों में से एक है जिसके 12 संयंत्र यूरोप, अमेरिका और चीन में फैले हुए हैं।

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