मृतक छात्र जयराज पटेल
दरअसल, 29 मार्च 2023 को जयराज के लापता होने के बाद, पुलिस को 14 मई 2023 को उसका कंकाल घर के पास एक खेत में मिला था। कंकाल की पहचान डीएनए के जरिए की गई, लेकिन इसे लेकर भी समस्या हुई। पहली डीएनए रिपोर्ट फेल हो गई थी, क्योंकि जयराज की मां जशोदा का डीएनए हड्डियों से मैच नहीं हुआ। ऐसे में पुलिस को दोबारा डीएनए कराना पड़ा, जिसमें जयराज के आईकार्ड पर लगे पसीना और सीटी पर लगे थूक का सैंपल लिया गया, जिसका कंकाल की हड्डियों से मिलान हो गया।
आखिरी बार आरोपी के साथ गया था
पूछताछ में परिवार ने बताया था कि मृतक जयराज के पिता लक्ष्मण और दशरथ सौतेले भाई हैं। दशरथ का बेटा मानवेंद्र अंतिम बार जयराज को बाइक पर लेकर गया था, लेकिन लौटते समय वह अकेला ही आया। इसके अलावा, जब वह जयराज को दोपहर 12 बजे घर से लेकर गया तो उसने अपना मोबाइल बंद कर लिया था। इसी आधार पर पुलिस ने मानवेंद्र से पूछताछ की और उसे गांव भी लेकर गई। लगातार पूछताछ के दौरान वह टूट गया और उसने जयराज की हत्या करना स्वीकार कर लिया।
हत्या का कारण संपत्ति विवाद
मानवेंद्र के परिवार की नजर जयराज के पिता की जमीन पर थी, जो जयराज के रहते उन्हें नहीं मिल सकती थी। मानवेंद्र को दमोह का मकान चाहिए था, लेकिन वह उसे नहीं मिल रहा था। इसलिए उसने जयराज की हत्या करने की योजना बनाई और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया। रिपोर्ट के आधार पर मानवेंद्र पर हत्या का मामला दर्ज कर उसे न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है।
आईवीएफ पद्धति से हुआ था जयराज का जन्म
पथरिया थाना प्रभारी सुधीर कुमार बेगी ने बताया कि पहली रिपोर्ट फेल होने के बाद दूसरी जांच के लिए सैंपल भेजा गया था। जयराज का जन्म आईवीएफ पद्धति से हुआ था, इसलिए मां का डीएनए उससे नहीं मिला था। तीन महीने पहले डीएनए सैंपल की जांच मृतक के खून व हड्डी से फेल होने के बाद पसीने और थूक का सैंपल भेजा गया था। उन्होंने जयराज के परिवार वालों से उसके कपड़े और खेल खिलौने बुलाए थे। परिवार द्वारा कपड़े, आईकार्ड, सीटी और टोपी उपलब्ध कराई गई, जिन्हें डीएनए के लिए भेजा गया। आईकार्ड के पसीने और सीटी से उसके थूक का डीएनए टेस्ट हुआ, जो हड्डी के डीएनए से मैच कर गया। इस रिपोर्ट के आधार पर जयराज का शव होने की पुष्टि हो गई और इस मामले का खुलासा हो गया।