Mp News: लोकायुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को अवैध बताने पर सरकार का हमला, मंत्री सारंग बोले- नियुक्ति विधि सम्मत

MP: Government's attack on calling Lokayukta's appointment process illegal, Minister Sarang said - appointment

विश्वास सारंग

मध्य प्रदेश के नए लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की नियुक्ति को लेकर 9 मार्च की रात को अधिसूचना जारी की गई। वहीं, 10 मार्च की रात को राजभवन में नए लोकायुक्त के रूप में उन्होंने शपथ ले ली। इससे पहले ही लोकायुक्त की नियुक्ति विवादों में घिर गई। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उनकी नियुक्ति प्रक्रिया को असंवैधानिक और अवैध बताया है। अब इस पर सरकार की तरफ से पलटवार कर उनके बयान को राजनीति से प्रेरित बताया गया।

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर नेता प्रतिपक्ष के बयान पर अब कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने पलटवार किया है। खेल एवं युवा कल्याण और सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने एक बयान जारी कर कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा की गई लोकायुक्त की नियुक्ति पूरी तरह से विधि सम्मत है। लोकायुक्त की नियुक्ति में पूरी तरह से नियमानुसार प्रक्रिया का पालन किया गया है। लोकायुक्त की नियुक्ति के पहले नेता प्रतिपक्ष को लिखित में जानकारी दी गई थी। उन्हें दूरभाष पर भी पूरी तरह से इत्तिला दी गई थी। मंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को उच्चाधिकारियों ने स्वयं बातचीत कर लिखित में जानकारी दी थी। लोकायुक्त की नियुक्ति में नियमानुसार प्रक्रिया का पालन किया गया है।

सारंग ने कहा कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए उमंग सिंघार का संवैधानिक पद पर विवाद पैदा करना नेता प्रतिपक्ष शोभा नहीं देता। सारंग ने उमंग सिंघार को सलाह दी कि इस तरह संवैधानिक पद पर राजनीति ना करें। संवैधानिक पद की नियुक्ति को असंवैधानिक कहना यह उनका राजनीति से प्रेरित बयान है। सारंग ने कहा कि उनको सलाह देता हूं कि लोकायुक्त जैसे पद पर विवाद पैदा ना करें। उन्होंने कहा कि उमंग सिंघार संवैधानिक पद और नेता प्रतिपक्ष पद की गरिमा का ध्यान रखें।

बता दें मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने लोकायुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना को अवैध बताया है। नेता प्रतिपक्ष ने इसको निरस्त करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि लोकायुक्त की नियुक्ति नियमानुसार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित नेता प्रतिपक्ष से परामर्श लेने के बाद की जाती है। लेकिन उनसे कोई परामर्श नहीं लिया गया। नेता प्रतिपक्ष ने इसको लेकर सीएम को भी पत्र लिखा है। वहीं नियुक्ति की अधिसूचना निरस्त नहीं करने पर नेता प्रतिपक्ष ने न्यायालय की शरण में जाने की बात कही है।

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