केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के लोकसभा क्षेत्र विदिशा में नहर की ज़मीन गायब हो गई है। अब प्रशासन ज़मीन का पता लगाएगा।
मध्य प्रदेश के विदिशा जिला मुख्यालय से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां पूरी नहर जमीन सहित ही गायब हो गई है । जब विभाग को पता चला तो वो भी हैरान रह गया। अब विभाग ने प्रशासन को पत्र लिखकर नहर की जमीन ढूंढने की गुहार लगाई है।
ये है पूरा मामला
सम्राट अशोक सागर संभाग क्रमांक 2 के अंतर्गत विदिशा दौलतपुरा और मदन खेड़ा के लिए नहर बनाई गई थी, जिसका नाम विदिशा उदवहन सिंचाई योजना रखा गया था।अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से भूअर्जन की प्रक्रिया कराई गई थी।जिसमें एक दर्जन किसानों की भूमि लेकर सिंचाई के लिए विधिवत योजना बनाकर नहर डाली गई थी। ताकि सिचाई की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था हो और किसान अच्छे से उपज ले सके। श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्यान के पास पानी के लिए लिफ्ट बनाई थी जो बेतवा नदी से पानी लिफ्ट कर पानी को आगे बढ़ाकर नहरों के माध्यम से ईदगाह होते हुए नवीन कलेक्टर परिसर विट्ठल नगर के अलावा शहर के अन्य और सप्लाई होता था। कुछ सालों तक नहर चलती गई, इसके बाद बस्ती का निर्माण हुआ।धीरे-धीरे योजना बंद हो गई।लेकिन योजना में कई हेक्टेयर भूमि जो शासन ने अधिग्रहण की थी, उस नहर को भूमाफियाओं ने अपने कब्जे में ले लिया। नहर से पत्थर पाइप सहित अन्य उपकरण को तोड़ दिया और वर्तमान में वहां मकान बनने की प्रक्रिया चल रही है।
नहर की जमीन को भूमाफिया कर गए हजम !
जमीनों के दाम बड़े और भूमाफियाओं ने जमीन ली। साल 1980-85 और 1990 के दौरान जमीनों के दाम कौड़ियों के मूल थे उसे समय किसानों ने अपनी जमीन का भूअर्जन किया था और विधि अनुसार गाइडलाइन के अनुसार उन्हें मुआवजा भी दिया गया था। समय बदला, चक्र बदला, शहर का विकास हुआ और देखते-देखते जहां पर नहर बनी थी वहां पर बस्तियां बसने लगी। लेकिन लोगों ने कॉलोनी की आड़ में सरकारी जमीन को भी दबा लिया। नहर कब टूट गई और उसकी सामग्री कहां चली गई आज तक पता नहीं है। विभाग खुद आश्चर्य में है कि इतना सामान होने के बावजूद कैसे लोगों की हिम्मत हो गई की सरकारी जमीन को अपने कब्जे में ले लिया ?
जमीन का किया गया था अधिग्रहण
सम्राट अशोक सागर संभाग दो के अंतर्गत विदिशा उदवहन सिंचाई योजना में शासकीय भूमि जो अधिग्रहण की गई थी, वह विदिशा क्षेत्र की 1.546 दौतलपुरा में 1.170 मदनखेडा में 0.648 कुल 3.354 हेक्टेयर भूमि का भूअर्जन किया गया ।आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया था की यह भूमि स्थायी रूप से अर्जित की हैं जिसका उल्लेख कार्यालय रिकार्ड अनुसार प्रपत्र में प्रस्तुत है साथ ही योजना के नक्शे में दर्ज है। इतना ही नहीं जो भूमि अधिग्रहण की गई है, वह सम्पूर्ण शासकीय है जिसका अभिलेख राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया गया है। सम्राट अशोक सागर संभाग दो के कार्यपालन यंत्री आर.के. शर्मा के हस्ताक्षर वाले पत्र में उल्लेख है कि इस भूमि को कलेक्टर शासन को वापस किए जाने के लिए प्रस्ताववरिष्ठ कार्यालय को उपसंभाग को पत्र क्रमांक 20- टी.एस जी-505/2020 विदिशा दिनांक 13.01.2020 के द्वारा भेजा गया था। इसके बाबजूद भूमाफियाओं को किसी भी अधिकारी का डर नही हैं वह खुलेआम जमीनों की खरीद-फरोस्त कर रहें हैं।
अब कराई जा रही जांच
अब इस पूरे मामले में तहसीलदार को जांच के आदेश मिले हैं। जांच आने के बाद स्पष्ट होगा कि किस किसान की कितनी भूमि शासन ने भूअर्जन की थी और किन लोगों ने कब्जा कर लिया है या किसी ने अगर निर्माण कार्य कर लिया है तो उसे मुक्त कराई जाएगा