आचार संहिता उल्लंघन का मामला।
MP Lok Sabha Elections: पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव आचार संहिता उल्लंघन के घेरे में हैं। आरोप है कि उन्होंने खंडवा लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल के समर्थन में प्रचार करने के लिए वे किसी मंदिर में पहुंचे थे। राजधानी भोपाल में भी कुछ दिन पहले ऐसा ही मामला सामने आया था। भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा अपने समर्थकों के साथ बोहरा समुदाय के धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे थे। नारेबाजी भी हुई, झंडे भी लहराए गए और सोशल मीडिया पर आलोक समर्थकों ने ही इसको “मस्जिद” का आयोजन कहकर प्रचारित भी किया। कांग्रेस खामोश, नेता शिकायत करने के लिए एक दूसरे का मुंह देखते रह गए। एक चुनाव, एक प्रदेश, एक जैसा मामला लेकिन, सक्रियता और निष्क्रियता ने दो अलग-अलग हालात बनाकर रख दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक खंडवा लोकसभा क्षेत्र के बुरहानपुर में शुक्रवार को अरुण यादव और नरेंद्र पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह दोनों नेता क्षेत्र के किसी मंदिर में पहुंचे थे और यहां सियासी बयानबाजी और मुलाकात की थी। भाजपा नेताओं ने मामले को लेकर निर्वाचन अधिकारी को की थी। मामले पर जिला अधिकारियों ने संज्ञान लिया और दोनों कांग्रेस नेता अब कार्रवाई के घेरे में हैं।
मस्जिद में मोदी… मोदी
राजधानी भोपाल में भी पिछले दिनों ऐसा ही मामला हुआ। भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा अलीगंज स्थित हैदरी मस्जिद के जमातखाने में पहुंचे थे। यहां चल रहे बोहरा समाज के धार्मिक कार्यक्रम में आलोक और पीएम मोदी के समर्थन में नारे लगाए गए। पोस्टर और कट आउट भी लहराए गए। बाद में मस्जिद में मोदी…मोदी जैसी हेडलाइन के साथ मीडिया में इसकी खबरें सामने आईं। लेकिन, मामले पर न तो कांग्रेस ने कोई संज्ञान लिया और न ही धार्मिक स्थल पर हुए इस सियासी प्रोग्राम की कोई शिकायत की। नतीजा यह है कि आलोक शर्मा न तो दोषी ठहराए गए और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ही संधारित की गई।
एक दूसरे का इंतजार
कांग्रेस मीडिया विभाग के केके मिश्रा का कहना है कि उन्होंने इस मामले को लेकर कोई शिकायत नहीं की है। पार्टी की तरफ से किसी ने कोई आपत्ति दर्ज कराई है, उसकी जानकारी भी उनको नहीं है। इधर, राजधानी और प्रदेश के इकलौते दोनों मुस्लिम विधायकों आरिफ मसूद और आतिफ अकील ने भी मामले में अपनी तरफ से कोई ऐतराज नहीं जताया। विधायक मसूद समर्थक अब्दुल नफीस का कहना है कि मामला भले जमातखाने का है, लेकिन भाजपा ने इसे मस्जिद का नाम ही प्रचारित किया। अगर, मंदिर में होने वाले आयोजन पर कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई की जाती है तो फिर मस्जिद के नाम पर लोगों को गुमराह किए जाने पर भी निर्वाचन आयोग को संज्ञान लेना चाहिए।
और आमिल गैर हाजिर
दाऊदी बोहरा समाज के आमिल जौहर अली की मौजूदगी और उनकी सहमति से धार्मिक स्थल पर सियासी गतिविधियों को हवा दी गई। लेकिन, इस मामले के तूल पकड़ते ही आमिल भोपाल छोड़कर मुंबई जा बैठे हैं। सूत्रों का कहना है कि एक हफ्ते से अधिक समय से वे मुंबई में ही हैं। बताया जा रहा है कि समुदाय के धर्मगुरु डॉ सैयदना साहब ने उनको तलब किया है। एक सप्ताह से अधिक समय से आमिल जौहर अली के नदारद रहने के चलते यह भी तय नहीं हो पा रहा है कि आमिल अब अपने पद पर रहेंगे या उनके स्थान पर किसी अन्य को नियुक्त किया जाएगा।