मध्यप्रदेश में मानसूनी मेहरबानी जारी: 8 जिलों में अति भारी बारिश के आसार, 31 जिलों में मध्यम बौछारें

भोपाल। उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश में सक्रिय कम दबाव के क्षेत्र और उससे जुड़ी मानसून द्रोणिका के प्रभाव से प्रदेशभर में रुक-रुककर बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि सोमवार को ग्वालियर-चंबल संभाग के कई जिलों में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है, जबकि भोपाल, इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम और उज्जैन संभाग में मध्यम बारिश की संभावना है।

किन जिलों में भारी से अति भारी बारिश का अलर्ट

ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, दतिया, अशोकनगर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जैसे आठ जिलों में मौसम विभाग ने अति भारी वर्षा (115.6 मिमी से अधिक) की चेतावनी जारी की है। इन क्षेत्रों में जलभराव, निचले इलाकों में पानी भरने और आवागमन बाधित होने जैसी स्थिति बन सकती है।

31 जिलों में मध्यम बारिश की संभावना

भोपाल, रायसेन, राजगढ़, सीहोर, विदिशा, इंदौर, अलीराजपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, धार, झाबुआ, खंडवा, खरगोन, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, उज्जैन, देवास, आगर-मालवा, शाजापुर, रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा होने का अनुमान है।

बीते 24 घंटों में कहां-कितनी बारिश हुई

रविवार सुबह 8:30 बजे तक की अवधि में शिवपुरी में 118 मिमी, रतलाम में 108 मिमी, दतिया में 98.9 मिमी, उमरिया में 51.6 मिमी, सतना में 50.1 मिमी और खजुराहो में 48.2 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा बैतूल, खंडवा, गुना, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, ग्वालियर, उज्जैन, खरगोन, मंडला, श्योपुर जैसे कई जिलों में भी अच्छी बारिश दर्ज की गई है।

मौसम की बनावट क्या कहती है?

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश में बना कम दबाव का क्षेत्र और उससे जुड़ा हवा के ऊपरी भाग का चक्रवात इस समय दक्षिण-पश्चिम की ओर झुका हुआ है। यही सिस्टम बंगाल की खाड़ी तक फैली द्रोणिका से जुड़कर पूरे प्रदेश में वर्षा ला रहा है।

दो-तीन दिन और रह सकती है बारिश की स्थिति

मौसम वैज्ञानिक अजय शुक्ला का कहना है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी आने का सिलसिला जारी है। इस वजह से आगामी दो से तीन दिनों तक प्रदेश में रुक-रुककर बारिश की संभावना बनी रहेगी।


निचले इलाकों में रहने वाले लोग सतर्क रहें।

भारी वर्षा की संभावना वाले जिलों में स्कूल-कॉलेजों की छुट्टियों या परिवहन व्यवस्थाओं पर नजर रखी जाए।

किसानों को फसलों में जलभराव रोकने के लिए खेतों की ड्रेनेज पर ध्यान देने की सलाह दी गई है।

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