राजधानी भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर की झरखेड़ा ग्राम पंचायत में पूर्व सरपंच और सचिव द्वारा किए गए दुकानों का भ्रष्टाचार का मामला पीएमओ ऑफिस तक जा पहुंचा है। आरटीआई कार्यकर्ता अजय पाटीदार ने इस मामले की शिकायत पीएमओ में कर कार्रवाई की बात कही है, साथ ही पाटीदार ने सीहोर जनपद की सीईओ नमिता बघेल पर भी कार्रवाई की मांग की है।
आरटीआई कार्यकर्ता अजय पाटीदार द्वारा पीएमओ में की शिकायत में लिखा कि सीहोर जिले की झरखेड़ा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच सविता विश्वकर्मा और उनके पति सुरेश विश्वकर्मा द्वारा सचिव मनोहर सिंह मेवाड़ा के साथ मिलकर शासकीय स्कूल की भूमि पर बिना अनुमति के अवैध तरीके से दुकानों का निर्माण कराया गया एवं भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता करते हुए उक्त दुकानों को बेच दिया गया। जिसकी संपूर्ण राशि भी पंचायत के खाते में जमा नहीं कराई गई, जिसके संबंध में जिला पंचायत स्तर पर जांच पूरी होने के उपरांत जांच में पूर्व सरपंच एवं सचिव पर एफआईआर कराने हेतु जनपद पंचायत सीहोर को जिला पंचायत सीईओ द्वारा संदर्भित पत्र भेजा गया था,किन्तु सीहोर जनपद पंचायत सीईओ नमिता बघेल ने उक्त मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई। नमिता बघेल उक्त मामले पर अनियमितता और भ्रष्टाचार कर आरोपी सरपंच, सचिव को सरंक्षण दे रहीं हैं।
जांच रिपोर्ट में सामने आए यह तथ्य
इस पूरे मामले में सरपंच का पति सुरेश विश्वकर्मा बड़ा आरोपी है, जिसे जिला पंचायत ने जांच में तथ्य होने के बाद भी आरोपी नहीं बनाया।क्योंकि सविता विश्वकर्मा के पूरे कार्यकाल में सरपंच का काम सुरेश विश्वकर्मा ने ही किया है।उक्त मामले में दुकानों को विक्रय कर राशि की अवैध वसूली भी सरपंच के पति सुरेश विश्वकर्मा द्वारा की गई थी जिसके तथ्य भी जांच रिपोर्ट में सामने आए हैं।
प्रमुख सचिव स्तर से हो कार्रवाई
आर्थिक अनियमितता एवं भ्रष्टाचार से जुड़ा गंभीर मामला होने से स्वयं संज्ञान लेकर उक्त मामले में प्रमुख सचिव स्तर से एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश जारी कराने का कष्ट करें साथ ही जनपद की सीईओ नमिता बघेल द्वारा अनियमितता और भ्रष्टाचार कर आरोपियों को दिए जा रहे संरक्षण के विरुद्ध सिविल सेवा अधिनियम के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
यह है मामला
सीहोर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत झरखेड़ा में वर्ष 2022 के पूर्व 17 दुकानों का निर्माण कराया गया, जिनमें नियमों का उल्लघंन और वित्तीय गढ़बडिय़ा जांच में सामने आई हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि एफआईआर दर्ज कराने के निर्देशों के बाद भी इस पूरे मामले में जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं। जांच के दौरान दुकान खरीददारों ने पूर्व सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप लगाए।
झरखेड़ा के कैलाश चन्द्र ने बताया कि उन्होंने एक दुकान नीलामी में खरीदी थी जिसकी कीमत दो लाख 86 हजार रुपये निर्धारित की गई थी, लेकिन उसे दुकान क्रय रसीद 65 हजार दी गई। मुलीबाई ने बताया एक लाख 8 हजार नगद भुगतान करने पर उसे 45 हजार की रसीद दी गई।उसने एक लाख 45 हजार रुपये नगद दिए जबकि उसे 45 हजार की रसीद मिली।
जगदीश विश्वकर्मा ने बताया कि एक दुकान उसने नीलामी में खरीदी थी जिसकी कीमत एक लाख उनके द्वारा पूर्व सरपंच को नगद दिए गए थे लेकिन उसे 45 हजार रुपये की रसीद दी गई। इसी प्रकार गांव के ही लखन मेवाड़ा ने बताया कि उसके दुकान के लिए एक लाख 40 हजार नगद पूर्व सरपंच को दिए जबकि उसे 45 हजार की रसीद दी गई। दुकान विक्रय के दौरान ज्यादा राशि दुकानों से ली गई जबकि उन्हें कम राशि की रसीदेें दी गई, जिनका जानकारी भी ग्राम पंचायत कार्यालय में मौजूद नहीं है।