Makhannagar : Deepaksharma / पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस (बारावफात) के मौके पर गुरुवार को ईद मिलादुन्नबी पर निकले जुलूस में आपसी सद्भाव और देश प्रेम का जज्बा देखने को मिला। शहर में निकले जुलूस में शामिल लोग इस्लाम धर्म के झंडे लहराते हुए चल रहे थे। इसमें हिंदू भाइयों ने भी बढ़-चढ़कर शामिल होकर जुलूस में शामिल मुस्लिम समाजजनों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन की व्यवस्था चाक-चौबंद रही। सुरक्षा की दृष्टिकोण से जगह-जगह पुलिस बल की तैनात किया गया। जुलूस जहां-जहां पहुंचा वहां मौजूद लोगों ने सभी का इस्तकबाल किया। इस दौरान नारा-ए-तकबीर, नारा-ए-रिसालत और सरकार की आमद मरहबा की सदा से माहौल गूंज उठा। इस दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने हाथ उठाकर मुल्क व दुनिया में अमन और सलामती की दुआएं की। मुस्लिम समाज के नागरिकों ने बताया कि पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामिक माह रबीउल अव्वल की 12 तारीख को हुआ था।
इस दिन को ईद मिलादुन्नबी, यौमुन्नबी या विलादत-ए-नबी के नाम से पुकारा जाता है। इस दिन को जश्न के रूप में मनाते हैं। घरों पर हरी झंडियां लगाई जाती हैं, जुलूस निकलते हैं और पूरे रबीउल अव्वल माह जलसों का आयोजन होता है। उन्होंने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत अरब में पैगंबर साहब के हयात (जीतेजी) में ही उनके सहाबा (शिष्य) ने की थी। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने देश दुनिया को इंसानियत का पैगाम दिया। उनके जीवन से सभी को प्रेरणा मिलती है।
पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस (बारावफात) के मौके पर गुरुवार को ईद मिलादुन्नबी पर निकले जुलूस में आपसी सद्भाव और देश प्रेम का जज्बा देखने को मिला। शहर में निकले जुलूस में शामिल लोग इस्लाम धर्म के झंडे लहराते हुए चल रहे थे। इसमें हिंदू भाइयों ने भी बढ़-चढ़कर शामिल होकर जुलूस में शामिल मुस्लिम समाजजनों का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन की व्यवस्था चाक-चौबंद रही। सुरक्षा की दृष्टिकोण से जगह-जगह पुलिस बल की तैनात किया गया। जुलूस जहां-जहां पहुंचा वहां मौजूद लोगों ने सभी का इस्तकबाल किया। इस दौरान नारा-ए-तकबीर, नारा-ए-रिसालत और सरकार की आमद मरहबा की सदा से माहौल गूंज उठा। इस दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने हाथ उठाकर मुल्क व दुनिया में अमन और सलामती की दुआएं की। मुस्लिम समाज के नागरिकों ने बताया कि पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्म इस्लामिक माह रबीउल अव्वल की 12 तारीख को हुआ था।
इस दिन को ईद मिलादुन्नबी, यौमुन्नबी या विलादत-ए-नबी के नाम से पुकारा जाता है। इस दिन को जश्न के रूप में मनाते हैं। घरों पर हरी झंडियां लगाई जाती हैं, जुलूस निकलते हैं और पूरे रबीउल अव्वल माह जलसों का आयोजन होता है। उन्होंने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत अरब में पैगंबर साहब के हयात (जीतेजी) में ही उनके सहाबा (शिष्य) ने की थी। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने देश दुनिया को इंसानियत का पैगाम दिया। उनके जीवन से सभी को प्रेरणा मिलती है।