Makhannagar News : लाखों की लागत से बने मिट्टी परीक्षण केन्द्र जर्जर, समय पर नहीं मिल रही जांच रिपोर्ट

खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सरकार द्वारा तमाम तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है लेकिन इनमें कई योजनाओं का लाभ जिले के किसानों को नहीं मिल पा रहा है जिसमें फसल के उत्पादन को बढ़ाने में सबसे जरूरी मिट्टी परीक्षण का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है।

मुख्यालय में कृषि उपज मंडी परिसर के स्थित मिट्टी परीक्षण केन्द्र में जहां कर्मचारियों की कमी के कारण समय में मिट्टी के सेम्पल की जांच नहीं हो पा रही है तो वहीं जिले के सभी विकासखंडों में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए मिट्टी परीक्षण केन्द्रों में तीन साल बाद भी अब तक स्टॉफ की नियुक्ति ही नहीं किए जाने से अब ये केन्द्र जर्जर हालत में पहुंचने लगे हैं।

4500 सैंपल मिले

जानकारी अनुसार कृषि उपज मंडी में स्थित मिट्टी परीक्षण केन्द्र में इस सीजन के लिए करीब 4500 मिट्टी के सेम्पल एकत्रित किए गए हैं। नियमानुसार इन सेम्पलों का परीक्षण कर रिपोर्ट कार्ड किसानों को आगामी गेहूं की फसल बोने की पहले मिल जाना चाहिए लेकिन ऐसा होना लगभग असंभव ही है असंभव इसलिए क्योंकि एक दिन में बमुश्किल 25 से 30 सेम्पलों की ही जांच की जा सकती है। ऐसे में 4500 सेम्पल की रिपोर्ट बनने में कितनी समय लगेगा अंदाजा लगाया जा सकता है।

40 लाख से अधिक खर्च, केन्द्र खुले ही नहीं

घुघरी के कृषक नंद किशोर पाण्डे ने बताया कि आज से करीब तीन साल पहले तहसील कार्यालय के सामने मिट्टी परीक्षण केन्द्र बनाया तो गया, जिसमें करीब 40 लाख रूपये खर्च करने की बात कही गई थी यही नहीं इस केन्द्र लाखों रूपये की मशीनें भी लगाई गई, लेकिन जबसे ये केन्द्र बना है तब से आज तक खुला ही नहीं कोई स्टॉफ ही यहां तैनात नहीं किया गया है। जानकारी अनुसार सभी 9 विकासखण्डों में करोड़ों रूपये खर्च कर बनाए गए मिट्टी परीक्षण केन्द्र अब जर्जर भवन में तब्दील होने लगे हैं।

एक टेक्निशीयन के भरोसे केन्द्र

जिला मुख्यालय में कृषि उपज मंडी परिसर में मिट्टी परीक्षण केन्द्र तो संचालित है लेकिन यहां एक मात्र टेक्निशयन पर हजारों सेम्पलों की जांच की जिम्मेदारी है परिणाम यह है कि समय में न तो मिट्टी के सेम्पलों की जांच हो पा रहा है न ही किसानों को इसका लाभ मिल पा रहा है। गौरतलब है कि मिट्टी में किस पोषक तत्वों की कमी है इसकी जानकारी मिट्टी परीक्षण से संभव है मिट्टी परीक्षण के बाद किसानों को रिपोर्ट कार्ड दिया जाता है जिसमें मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी की जानकारी दी जाती है ताकि किसान उसकी पूर्ती कर सके लेेकिन जिला मुख्यालय से लेकर विकासखण्डों मिट्टी परीक्षण केन्द्र शो-पीस ही साबित हो रहे हैं

कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जहां किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है तो वहीं शासन द्वारा जो सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है उनका भी लाभ किसानों को विभागीय अधिकारी नहीं दिला पा रहे हैं। जिले के सभी विकासखंडों में मृदा प्रयोगशाला बनकर जानकारी अनुसार 2019 में ही संबंधित अधिकारी के हैंड ओवर कर दिया गया था। जिसके बाद यहां मृदा जांच के लिए लगने वाली मशीनें भी उपलब्ध करा दी गई है, लेकिन इन मशीनों के द्वारा होने वाली जांच में लगने वाले स्ट्रूमेंट और कैमिकल की व्यवस्था नहीं की गई, जिसके कारण जिला मुख्यालय को छोड़कर सभी नौ विकासखंडों में मृदा की जांच शुरू नहीं की गई है।

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