कथावाचक ने कहा कि सीता जी माता गौरी की पूजा के लिए फुलवारी से फूल तोड़ने जाती हैं। उसी फुलवारी में भगवान श्रीराम के दर्शन होते हैं। सीताजी की नजर श्रीराम पर पड़ती है तो वह मोहित हो जाती हैं।
माखन नगर : नगर के सिलारी कॉलोनी में बमनावत परिवार के तत्वाधान में चल रहे नव दिवसीय संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन की कथा में कथावाचक गौरीशंकर दुबे ने श्री राम विवाह की कथा भाव पूर्वक सुनाएं कथा के दौरान उन्होंने श्रीराम विवाह का बखान किया। राम-सीता विवाह की कथा सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
कथावाचक ने राम विवाह के दृश्य का रसपान कराते हुए श्रोताओं को बताया कि राजा जनक गुरु विश्वामित्र के साथ राम व लक्ष्मण को धनुष यज्ञशाला ले गए। यहां देश-विदेश के राजा सुंदर सिंहासनों पर विराजमान थे। राजा जनक ने अपनी प्रतिज्ञा के बारे में सभी को अवगत कराया कि जो इस धनुष को तोड़ेगा उसके साथ सीताजी का विवाह होगा। सभी राजाओं ने बारी-बारी से धनुष तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।निराश राजा जनक को देखकर विश्वामित्र का इशारा पाकर भगवना श्रीराम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं और धनुष टूट जाता है। इसके बाद श्रीराम व सीताजी एक-दूसरे के गले में वरमाल डाल देते हैं।श्रीराम विवाह की कथा सुन भक्त हुए भावविभोर ।