अपने कारनामों के लिए हमेशा ही चर्चा में रहने वाली नगर परिषद माखन नगर भी कई मामलों में तो अजूबी दिखाई देती है। यहां पर आम लोगों और गरीबों के लिए सारे नियमों को तय कर उसका पालन सुनिश्चित किया जाता है। लेकिन जहां नियमों में अधिकारियों की बात आती है, तो वहां पर वह सारे नियम फिसड्डी साबित हो जाते हैं। ऐसे ही हालत है जहां नगर परिषद के फायर ब्रिगेड का लाखों रुपए का भुगतान वर्षो से नहीं हुआ। वही माखन नगर नगर परिषद सहित अन्य नगरपालिका भी इस बात की जानकारी से अनभिज्ञ तो है ही वहीं उनके पास इसके कोई रिकार्ड भी नहीं है कि उनके द्वारा यह सेवाएं कहां-कहां दी गई।राजस्व विभाग को देना होता है शुल्कयदि शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई अग्नि दुर्घटना होती है तो उसके लिए नगर पालिका या नगरीय निकाय क्षेत्र में फायर बिग्रेड भेजने की जिम्मेदारी संबंधित नपा प्रबंधन की होती है अर्थात आग दुर्घटना से निपटने के लिए नपा व फायर ब्रिगेड को हमेशा तत्पर माना जाता है। लेकिन यदि यही अग्नि दुर्घटना नगरीय निकाय के क्षेत्र के बाहर होती है तो नियमानुसार वह इसके लिए वह संबंधित ग्राम पंचायत या राजस्व विभाग से शुल्क लेकर अपनी सेवाएं देता है। माखन नगर में आज दिनांक तक ऐसे कई स्थानों पर नप द्वारा फायर ब्रिगेड भेजी गई है लेकिन उसे नियमानुसार इस एवज में किसी भी प्रकार का कोई शुल्क किसी भी संस्था या निकाय द्वारा प्रदान नहीं किया गया। इसके चलते ऐसे स्थानों पर भी फायर ब्रिगेड सेवाएं देने पर होने वाली राशि स्थानीय निकाय के द्वारा ही व्यय की जा रही है और यह राशि आंकलन में लाखों रुपए की है जो स्पष्ट रूप से नगरीय निकायों का नुकसान है।
करीब 56 लाख की राशी बकाया
करीब 28 वर्ष पूर्व 1996 मे नगर पंचायत का गठन होने पर आगजनी की घटनाओं पर काबू पाने के लिए एक फायर ब्रिगेड खरीदी गई थी। ठीक उसके 20 वर्ष बाद वर्ष 2016 में नगर परिषद द्वारा दूसरी फायर ब्रिगेड खरीदी गई। वही वर्ष 2019 में पुरानी फायर ब्रिगेड दुर्घटना का शिकार हो गई। इसके बाद से ही नगर और आसपास के गांवोें में आगजनी होने पर इसी के सहारे आग पर काबू पाया जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विगत 28 वर्षो में करीब दो लाख के मान से 56 लाख की राशी पंचायत एवं राजस्व विभाग पर बकाया है।पहले कलेक्टर से होता था भुगतानइस संबंध में सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व में यदि फायर ब्रिगेड नगरीय निकाय के बाहर कहीं जाता था । तो उस पर व्यय होने वाली राशि का भुगतान बाकायदा किया जाता था । लेकिन अब इसका भुगतान पिछले अनेक वर्षों से नहीं हुआ है। जबकि इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कलेक्टर द्वारा एसडीएम व तहसीलदार को निर्देशित भी किया हुआ है।कई बार बिल जारी किए राशी नहीं मिलीनगर परिषद सीएमओ जीएस राजपूत ने देनवा पोस्ट को बताया कि कि हमारे द्वारा हर बार बिल जारी किए जाते हैं लेकिन अभी तक कोई भी राशी पंचायत एवं राजस्व विभाग से नहीं मिली।