Makhan Lal Chaturvedi Death Anniversary : माखनलाल चतुर्वेदी की 55वीं पुण्यतिथि

माखनलाल चतुर्वेदी भारत के जाने माने कवि, लेखक और पत्रकार थे। Makhan Lal Chaturvedi death anniversary उनकी साहित्यिक रचनाएं देश में बेहद लोकप्रिय हैं। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रचार करने वाले ‘कर्मवीर’ और ‘प्रभा’ जैसे प्रतिष्ठित पत्रों के संपादक के रूप में भी सेवाएं दी हैं। Makhan Lal Chaturvedi Punyatithi उन्होंने इन पत्रों के जरिये ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और नई पीढ़ी को गुलामी की जंजीरों को तोड़कर बाहर आने के लिए प्रेरित किया। माखनलाल चतुर्वेदी एक स्वतंत्रता सेनानी और सच्चे देशभक्त भी थे। साल 1920-21 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए।

दीपक शर्मा/नर्मदापुरम : 30 जनवरी 2023 को माखनलाल चतुर्वेदी की 55वीं पुण्यतिथि है। Makhan Lal Chaturvedi death anniversary माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 में होशंगाबाद जिले की बाबई (Makhan Nagar)तहसील में हुआ था, यहीं उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की थी. Makhan Lal Chaturvedi Punyatithi उनके पिता का नाम नंदलाल और माता का नाम सुंदर बाई था। माखनलाल चतुर्वेदी का देहांत 30 जनवरी 1968 में हुआ था। उनके द्वारा लिखी गई रचनाएं अत्यंत लोकप्रिय हुईं। वे अपनी रचनाओं में सरल भाषा और भावों का प्रयोग इस प्रकार करते कि पाठक को वह जीवंत प्रतीत होती। उनकी कविताओं में देश प्रेम के साथ साथ प्रकृति प्रेम भी झलकता है।

देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन से जुड़े

अंग्रेजों जुल्मों के खिलाफ महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से पूरा देश प्रभावित हुआ।महात्मा गांधी ने कई आंदोलन चालाए, उनके आवाहन पर बाबई के जनमानस भी आंदोलन में शामिल हो गये। सन 1923 में प्रथम बार एक साथ तीन भारतीय नेता पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, महात्मा भगवानदीन और तपस्वी सुंदर लाल बाबई आये। यहां उन्होंने एक विशाल सभा की और सभा को संबोधित भी किया था।

माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक योगदान

 ‘हिन्दी केसरी’ ने सन 1908 में ‘राष्ट्रीय आंदोलन और बहिष्कार’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया।तब हिन्दी केसरी के संपादक माधवराव सप्रे थे. इस निबंध प्रतियोगिता में माखनलाल चतुर्वेदी (Makhan Lal Chaturvedi) के निबंध को प्रथम स्थान मिला। खंडवा के कालूराम गंगराड़े ने अप्रैल 1913 में मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ के प्रकाशन की शुरुआत की, जिसके संपादक का जिम्मेदारी माखनलाल चतुर्वेदी को सौपी गई। अंग्रेज सरकार के खिलाफ लिखने और स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के चलते ‘प्रभा’ का प्रकाशन बंद हो गया। 1954 में साहित्य अकादमी पुरस्कारों की स्थापना हुई और हिन्दी साहित्य के लिए प्रथम पुरस्कार ‘हिम तरंगिनी’ के रचयिता माखनलाल को दिया गया। ‘पुष्प की अभिलाषा’ और ‘अमर राष्ट्र’ जैसी रचनाओं के रचयिता इस महाकवि को 1963 में भारत सरकार ने पद्मभूषण से अलंकृत किया।

माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली

 चतुर्वेदी की काव्य रचनाएं राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित हैं। उनकी कविताएं उन देशभक्तों को प्रभावित करती हैं, जो आज भी अपने देश से बहुत प्यार करते हैं। माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने लेखन में एक नई शैली का प्रयोग किया।उनके इस शैली को छायावाद युग की ‘नव रोमांटिक शैली’ कहा जाता है। उनकी इस शैली की रचनाएं बहुत प्रसिद्ध हुईं, क्योंकि उनकी कविता की नई शैली को लोग पसंद करने लगे थे। उनके द्वारा लिखी गई रचनाएं अत्यंत लोकप्रिय हुईं। वे अपनी रचनाओं में सरल भाषा और भावों का प्रयोग इस प्रकार करते कि पाठक को वह जीवंत प्रतीत होती। उनकी कविताओं में देश प्रेम के साथ साथ प्रकृति प्रेम भी झलकता है।

माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं

माखनलाल चतुर्वेदी की काव्य रचनाओं में हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूंजे धरा शामिल हैं. ‘पुष्प की अभिलाषा’ और ‘अमर राष्ट्र’ ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई. उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में हिमकिरीटिनी, नाटक, कहानी, निबन्ध, संस्मरण शामिल हैं।इनके भाषणों के ‘चिन्तक की लाचारी’ और ‘आत्म-दीक्षा’ नामक संग्रह भी प्रकाशित है।

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