पराली प्रबंधन को लेकर माखननगर के किसानों की पहल — प्रशासन से मांगी मदद, समय पर नष्ट न होने से फसल पर संकट

parali

नर्मदापुरम।माखननगर तहसील के ग्राम मनवाड़ा सहित आसपास के ग्रामों के किसानों ने फसल कटाई के बाद खेतों में बची पराली (parali) के उचित निपटान को लेकर प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। किसानों ने तहसीलदार महोदय को एक सामूहिक आवेदन सौंपते हुए कहा कि उन्होंने शासन के आदेशों का पालन करते हुए पराली (parali) को नहीं जलाया, लेकिन अब खेतों में यह पराली कई दिनों से जमी हुई है और अगली फसल की बुवाई में बाधा उत्पन्न कर रही है।

किसानों का कहना है कि पराली (parali) को बिना जलाए नष्ट करने के वैकल्पिक उपाय उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, जिसके कारण उनकी खेती में विलंब हो रहा है और नई फसल की बुवाई प्रभावित हो रही है।

किसानों ने कहा — “आदेशों का पालन किया, पर अब खेतों में रुकावट”

ग्राम मनवाड़ा के किसानों ने बताया कि शासन द्वारा पराली (parali) जलाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उन्होंने पूर्ण रूप से नियमों का पालन किया। पराली (parali) जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और वायु प्रदूषण के खतरे को देखते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन की मंशा का सम्मान किया और किसी भी खेत में आग नहीं लगाई।

लेकिन अब लगभग 10 से 15 दिन बीत चुके हैं, इससे खेतों की जुताई और बुवाई में भारी कठिनाई आ रही है। किसानों का कहना है कि यदि जल्द ही इस पराली (parali) का निपटान नहीं किया गया तो गेहूं जैसी रबी फसलों की बुवाई देर से होगी, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा।

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“मशीनें उपलब्ध नहीं, पराली खेतों में पड़ी”

किसानों ने अपने आवेदन में लिखा है कि प्रशासन द्वारा पराली (parali)नष्ट करने के लिए आवश्यक स्ट्रॉ मैनेजमेंट मशीनें या रोटावेटर जैसे उपकरण गांव में उपलब्ध नहीं कराए गए। किसान खुद से इन महंगी मशीनों को किराए पर लाने की स्थिति में नहीं हैं।

किसानों की प्रशासन से मांग — तत्काल दें अनुमति

किसानों ने तहसीलदार से निवेदन किया है कि या तो उन्हें नियंत्रित रूप से पराली (parali)जलाने की अनुमति दी जाए, या फिर प्रशासन उनके खेतों में मशीनें भेजकर पराली प्रबंधन का कार्य करवाए।

किसानों का कहना है कि वे प्रशासनिक नियमों का पालन करने के पक्षधर हैं, लेकिन कृषि कार्य के समय पर पूरा न होने से उनकी जीविका पर असर पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि पराली (parali) के निपटान में और देरी हुई, तो उन्हें मजबूरन स्वयं पराली (parali) जलाने पर विवश होना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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किसानों ने सामूहिक रूप से दिया आवेदन

इस सामूहिक आवेदन पर ग्राम के दर्जनों किसानों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। आवेदन पर प्रमुख किसानों जैसे शैलेन्द्र, शिवप्रसाद, भगवानदास, सन्तोष, अभय, मुकेश, रमेश, गिरजाशंकर, सुभाष, प्रकाश आदि के हस्ताक्षर दर्ज हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि इस समय खेतों में फसल की तैयारी का अत्यधिक दबाव है। यदि प्रशासन ने तुरंत कदम नहीं उठाए तो पूरी फसल चक्र प्रभावित होगा।

पराली प्रबंधन: सरकार के आदेश और जमीनी हकीकत

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में पराली जलाने पर प्रतिबंध है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण रोकने के लिए उठाया गया था। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी पराली (parali) प्रबंधन की ठोस व्यवस्था नहीं हो पाई है।

सरकार द्वारा पराली (parali) निपटान के लिए हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रॉ बेलर, रोटावेटर जैसी मशीनों के उपयोग की सलाह दी जाती है, किंतु छोटे किसानों तक ये सुविधाएं पहुंच नहीं पातीं। नतीजतन किसानों को खुद के संसाधनों से इस समस्या का सामना करना पड़ता है।

प्रशासनिक पहल की उम्मीद

माखननगर तहसील क्षेत्र के किसानों की इस सामूहिक पहल ने प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। किसानों की इस लिखित शिकायत के बाद उम्मीद है कि तहसील और कृषि विभाग के अधिकारी गांव का दौरा कर पराली निपटान की उचित व्यवस्था करेंगे।

यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या पूरे क्षेत्र में फैल सकती है, जिससे रबी फसल की बुवाई प्रभावित होगी और किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

किसानों का यह कदम दर्शाता है कि ग्रामीण अब पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति सजग हैं। उन्होंने प्रशासनिक आदेशों का पालन किया, लेकिन अब प्रशासन से अपेक्षा है कि वह जमीनी स्तर पर सहयोग करे।

पराली जलाना भले ही गलत हो, लेकिन बिना विकल्प दिए किसानों को दोषी ठहराना भी उचित नहीं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसी स्थितियों में किसानों की मदद करें, ताकि पर्यावरण संरक्षण और कृषि उत्पादन — दोनों के बीच संतुलन बनाया जा सके।

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