इंदौर में लोकसभा प्रत्याशियों के नामांकन का विवाद।
पूर्व वायु सैनिक ने लगाए गंभीर आरोप
प्रशासन ने शाम को नामांकन फार्म वापस लेने वाले प्रत्याशियों की सूची जारी की जिसमें पूर्व वायु सैनिक धर्मेंद्र झाला का भी नाम था। धर्मेंद्र ने दोपहर चार बजे ही सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया था कि वे लोकसभा चुनाव में लड़ने के लिए बेहद उत्साहित हैं और अपना चुनाव चिन्ह लेने के लिए कलेक्टर कार्यालय जा रहे हैं। जैसे ही वे कलेक्टर कार्यालय पहुंचे उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया गया। उन्हें बताया गया कि चुनाव में उनका नामांकन वे वापस ले चुके हैं। इसके बाद बवाल शुरू हुआ और धर्मेंद्र ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि नामांकन वापस लेने का वे सबूत दें। उन्होंने कहा कि जब वे सुबह से यहां पर आए ही नहीं तो कैसे नामांकन वापस हो गया। बाद में बताया गया कि किसी ने फर्जी हस्ताक्षर करके धर्मेंद्र का नामांकन वापस ले लिया। धर्मेंद्र ने कलेक्टर का लिखित शिकायत की है और अब वे कोर्ट जाने वाले हैं। उन्होंने कलेक्टर कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे हैं।
ठीक इसी तरह दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप ठक्कर के साथ भी हुआ। उन्होंने भी यही आरोप लगाए कि जब उन्होंने नामांकन वापस ही नहीं लिया तो फिर नामांकन किस आधार पर वापस हुआ। किसके हस्ताक्षर से इसे वापस करवाया गया।
तीसरे निर्दलीय प्रत्याशी लीलाधर चौहान ने कहा कि मैंने कोई फॉर्म नहीं उठाया, यह आपको किसने जानकारी दी। मैं तो गया ही नहीं, ये कैसे हो गया। आप मेरी तरफ से लिख दीजिए कि मैंने फॉर्म उठाया ही नहीं।
क्या होगा आगे
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा है कि उन्होंने प्रत्याशियों से जांच का आवेदन लिया है। सीसीटीवी फुटेज और अन्य तथ्य देखे जाएंगे। जांच के बाद ही कुछ निर्णय लिया जा सकेगा। नियम है कि प्रत्याशी स्वयं, उनके प्रस्तावक या एजेंट में से कोई भी आकर नाम वापस ले सकता है। इस मामले में प्रस्तावक ने नाम वापस लिया है। फॉर्म में संबंधित प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह झाला के भी साइन हैं, जो सामान्यत: सही प्रतीत होते हैं। हैंड राइटिंग चेक करने की हमारे पास कोई व्यवस्था नहीं है। यदि उन्हें कोई संशय है तो कोर्ट में ही चैलेंज किया जा सकता है। हमने प्रक्रिया का पालन किया है, पूरी वीडियोग्राफी कराई गई है।