वहीं किसान की मौत के बाद से परिजनों में मातम पसरा है। इधर ग्रामीणों ने वर्षों से चली आ रही पुल निर्माण की मांग पूरी नही होने से नाराजगी भी जताई है। उनका कहना है कि नदी पर पुल होता तो यह हादसा न होता। इसके लिए उन्होंने कई बार सरकार से गुहर भी लगाई है। तो वहीं स्थानीय विधायक सचिन यादव से पिछले करीब 15 सालों से वे पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी मांग पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। तो वहीं बताया जा रहा है कि इसके पहले भी इसी तरह के 5 से 6 हादसे इसी स्थान पर किसानों के साथ हो चुके हैं, जिसको लेकर किसानों में काफी आक्रोश भी देखा गया।
अब नहीं हो किसानों की आकस्मिक मौत के हादसे
वहीं मृतक के परिजन और स्थानीय किसान बबलू यादव ने बताया कि यह हमारे गांव के किसान थे, जिनका नाम दिलीप यादव पिता गणपति यादव था। वे अपने खेत पर जाने के लिए निकले थे, पर बीच में जहां वेदा और कुंदा का गहरा संगम है वहां पर तेज बहाव रहता है। पर उससे डर के किसान लोग अपनी खेती तो छोड़ नहीं सकते, इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि, वहां पर पुल का निर्माण करे। क्योंकि इसी तरह के सिप्टान गांव में 5 से 6 हादसे हो चुके हैं और अब यह अंतिम हादसा हो जिससे कोई भी किसान इस तरह की आकस्मिक मौत नहीं मरे।
खेत में दवाई छिड़कने जा रहा था किसान
वहीं मृतक किसान के भाई निर्मल यादव ने बताया कि हमारे सिप्टान गांव से बाहर बिल खेड़ा गांव में आधे से अधिक गांव वालों की जमीन है, इसलिए हमने सरकार से कई बार गुहार लगाई कि हमें वहां पुल चाहिए। क्योंकि यह पहला हादसा नहीं है इसके पहले 5 से 6 हादसे हो चुके हैं और हर बार बैलगाड़ी बहने से इस तरह का हादसा हो रहा है। अभी भी हमारे भैया सुबह खेत में दवाई छिड़कने जा रहे थे, और बैलगाड़ी के साथ वह बह गए। उस जगह पानी बहुत गहरा है और पानी में डूबने से उनकी मौत हो गई।