गुरु पूर्णिमा पर्व पर श्री दादाजी धाम में हुई महा आरती
50000 से अधिक भक्त हुए महा आरती में शामिल
गुरुपूर्णिमा के मुख्य पर्व के दिन श्री दादाजी धूनीवाले दरबार में देर रात महाआरती हुई। इसे बड़ी आरती भी कहा जाता है। रात करीब 8 बजे के बाद शुरू हुई महाआरती के दौरान 108 दीपों के साथ बड़े दादाजी केशवानंद जी महाराज और छोटे दादा जी हरिहर भोले भगवान के साथ धुनिमाई की आरती की गई। महाआरती में शामिल होने के लिए भक्तों के बीच होड़ सी दिखी, इस दौरान मंदिर परिसर के साथ ही पूरा प्रांगण भक्तों से खचाखच भरा रहा। करीब 50000 से अधिक भक्तों ने महाआरती का लाभ लिया। आरती शुरू होने से पहले ही प्रांगण श्रद्धालुओं से भर गया था। इस बीच यहां भक्तों के लिए दर्शन व्यवस्था को रोका भी गया था ।
महाआरती के बाद करीब 2 घंटे में हुए दर्शन
महा आरती के दौरान यहां पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि डोम स्थित जिगजैग बैरिकेडिंग पूरी तरह से श्रद्धालुओं से भर गई थी। इस दौरान 6 नंबर गेट से श्रद्धालुओं को प्रवेश दिए जाने के चलते महाआरती के बाद करीब 1 से 2 घंटे के इंतजार के बाद श्रद्धालुओं को दर्शन लाभ मिल सका। महाआरती के समय धुनी माई का टेंपरेचर भी करीब साठ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। गुरुपूर्णिमा पर्व की महा आरती का संचालन श्री धुनी वाला आश्रम पब्लिक ट्रस्ट के संचालक सुभाष नागोरी के द्वारा किया गया था ।
गुरु पूर्णिमा पर होने वाली बड़ी आरती का है महत्व
बता दें कि, श्री दादा दरबार में गुरुपूर्णिमा पर्व पर होने वाली बड़ी आरती का बड़ा महत्व माना जाता है। यहां वर्ष भर में कुल सात बड़ी आरतियां होती हैं। इनमें प्रमुख त्योहारों में गुरु पूर्णिमा शामिल है। इसके साथ ही बड़े दादाजी की बरसी, छोटे दादा जी की बरसी, महाशिवरात्रि, रामनवमी, जन्माष्टमी और दीपावली के पर्व पर यहां बड़ी आरतियां होती हैं। इनमें से गुरु पूर्णिमा के दिन होने वाली बड़ी आरती का बड़ा महत्व रहने के चलते दादा दरबार से जुड़े जो भक्त हैं, वे यह कोशिश करते हैं कि इस दिन वे दादा दरबार जरूर पहुंचे और दादाजी की समाधि पर मत्था टेककर महाआरती में शामिल हो।
मंदिर परिसर में रोजाना होती हैं चार आरतियां
श्री धुनी वाला आश्रम पब्लिक ट्रस्ट से जुड़े मुकेश नागौरी ने बताया कि मंदिर परिसर में रोजाना चार आरतियां होती हैं। इनमें प्रातः काल 5 बजे छोटी आरती होती है। सुबह 7:45 पर बड़ी आरती होती है, शाम 5 बजे छोटी आरती होती है। इसके बाद देर शाम 7:45 पर बड़ी आरती होती है। साथ ही जिस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा होती है, उस दिन कथा प्रारंभ की आरती और कथा समापन की आरती भी होती है।