सांकेतिक तस्वीर
खंडवा जिले में कृषि की ग्रीन बेल्ट भूमि पर अवैध कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है, जिसमें राजस्व विभाग की मिलीभगत का आरोप है। इन कॉलोनियों का खुलेआम विज्ञापन किया जा रहा है, जबकि प्रशासनिक अधिकारी इस पर मौन हैं। इसके साथ ही, कूटरचित दस्तावेज बनाकर दूसरों की जमीन बेचने के मामले भी सामने आए हैं। माना जा रहा है कि यह सब इसलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि राजस्व विभाग के पुराने रिकॉर्ड को अनदेखा किया जा रहा है।
हाल ही में हुई एक शिकायत के बाद प्रशासन ने इस पर कार्रवाई शुरू की है। खंडवा जिले के मूंदी थाना क्षेत्र में फर्जी कागजों के माध्यम से जमीन बेचने वालों और खरीदारों पर मामला दर्ज किया गया है। भू-माफिया और अधिकारियों के गठजोड़ से यह संगठित अपराध किया जा रहा है। अगर आपकी जमीन या मकान खंडवा शहर या इसके आसपास है, तो आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। माफिया थोड़ी सी भी गलती का फायदा उठाकर संपत्ति पर कब्जा कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अवैध कॉलोनियों का निर्माण और कूटरचित दस्तावेज बनाकर जमीन हथियाने के मामलों में क्षेत्र के आरआई, पटवारी, तहसीलदार समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारी शामिल हैं। जिला कलेक्टर अनूप सिंह की कार्रवाई का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच, कोतवाली पुलिस ने पांच लोगों पर मामला दर्ज किया है, जिनमें आरोपी योगेश पिता पतिराम चौहान, अब्दुल लतीफ पिता नसरूद्दीन खत्री, मोहम्मद रफीक पिता मोहम्मद युसुफ खत्री, मोहम्मद जुबेर पिता मोहम्मद निसार, और अब्दुल गफ्फार पिता मेहमूद शामिल हैं।
फर्जी कागजों से बिक्री की तैयारी
आरोपियों ने ग्राम सिंगोट में मुख्य मार्ग की बेशकीमती कृषि भूमि के कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जमीन बेचने की तैयारी कर ली थी। उनके खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 469, 471 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। शिवसेना के गणेश भावसार ने आरोप लगाया है कि राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी 20 वर्षों से अधिक समय से जिले में पदस्थ हैं। इस कारण संगठित अपराध बेरोक-टोक चल रहा है।