गांठ गोभी (knol khol/kohlrabi) एक अलग ही तरह की सब्जी है. यह गोल बल्ब सरीखी दिखती है, जैसे प्याज दिखाई देती है. यह हरे और जामुनी रंग में उगती है, चुकंदर जैसी दिखने के बावजूद इसका इससे कोई संबंध नहीं है. ऐसा लगता है कि यह जंगली पत्ता गोभी है, लेकिन उसका साइज छोटा ओर ठस हो गया है. देखने में ऐसा लगता है कि यह जड़ीली है, लेकिन वास्तव में यह इस तरह की नहीं है. इसका स्वाद पत्ता गोभी और ब्रोकोली का मिक्सचर है, जो बहुत हलका और मीठा भी होता है. भारत में इसे सामान्य सब्जी की तरह (जैसे गोभी या पत्ता गोभी पकाई जाती है) ही खाया जाता है, लेकिन कई पश्चिमी देशों में इसकी कई प्रकार की डिशेज बनाई जाती है और नॉनवेज की निगेटिविटी कम करने के लिए उसमें इसका विभिन्न तरीके से खूब उपयोग किया जाता है.
आयुर्वेद में गांठ गोभी के फायदे
1. यह विदेशी सब्जी और भारत में करीब एक दशक से इसका प्रचार-प्रसार इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि यह शरीर के लिए बेहद लाभकारी है. फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि 15वीं शताब्दी में इसकी उत्पत्ति उत्तरी यूरोप में हुई और धीरे-धीरे पूरी दुनिया की किचेन में इसने अपनी जगह बना ली. गांठ गोभी की ऑस्ट्रिया, जर्मनी, इंग्लैंड, स्पेन और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से खेती हो रही है और अब यह भारत के लिए अजनबी नहीं है. आयुर्वेद ने भी गांठ गोभी को विशेष माना है. भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन के अनुसार गांठ गोभी मधुर, शीत, गुरु, बलकारक, रुचिकर, ग्राही तथा शीतल होती है. यह कफ, कास (खांसी), प्रमेह (Gonorrhea) व श्वास में लाभप्रद तथा वात व पित्त प्रकोपक होती है.
2. वनस्पतिशास्त्र ने भी गांठ गोभी को विशेष माना है. लेखक व भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिश्वजीत चौधरी ने अपनी पुस्तक ‘VEGETABLES’ में बताया है कि गांठ गोभी की उत्पत्ति उत्तरी यूरोप के तटीय देशों में हुई. इसकी कई किस्में हैं लेकिन भारत में इसकी दो किस्में ही उगाई जाती हैं. यह ठंडे मौसम की फसल है. उनका कहना है कि 100 ग्राम गांठ गोभी में फाइबर डेढ़ ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 4 ग्राम, फेट न के बराबर, कैलोरी 27, कैल्शियम 20 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 18 एमजी, फास्फोरस 35 एमजी, सोडियम 112 एमजी, विटामिन सी 85 एमजी के अलावा अन्य विटामिन्स व मिनरल्स भी पाए जाते हैं. विश्वकोश ब्रिटेनिका (Britannica) ने माना है कि कुछ क्षेत्रों में यह किचन गार्डन की सब्जी के रूप में लोकप्रिय है. यूरोप में इसे स्टॉक फीड के लिए भी उगाया जाता है और नई कोमल पत्तियों को साग के रूप में खाया जा सकता है.
3. इन्हीं पोषक तत्वों ने गांठ गोभी को विशेष बना दिया है. जानी मानी डायटिशियन अनीता लांबा के अनुसार विशेष विटामिन्स व मिनरल्स के चलते गांठ गोभी सामान्य रोगों से शरीर को बचाती है. यानी यह सब्जी विभिन्न वायरल और बैक्टीरियल संक्रमणों से लड़ते हुए शरीर को विभिन्न बीमारियों से भी बचाती है. गांठ गोभी में विटामिन सी की मौजूदगी श्वेत रक्त कोशिकाओं के कामकाज और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती है.
4. गांठ गोभी में कैलोरी कम और पाचन फाइबर अधिक होता है. इसलिए इसका सेवन लंबे समय तक तृप्त रख सकता है. इसका लाभ यह होता है कि गांठ गोभी मोटापे को शरीर से दूर रखती है. इसे एंटीऑक्सिडेंट से भी भरपूर माना जाता है. अगर इसका नियमित सेवन किया जाए तो यह शुगर और हाई बीपी को कंट्रोल रखने में सहायता करती है. इसमें पोटेशियम भी पर्याप्त पाया जाता है जो ब्लड की धमनियों को सुचारू बनाए रखता है. इसमें ग्लूकोसाइनोलेट्स भी पाया जाता है, जिसे हार्ट के लिए लाभकारी माना जाता है. उसका कारण है कि यह यौगिक रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करने, सूजन को दूर करने और धमनियों में प्लाक के निर्माण को रोकने में सहायक है.
एनीमिया में लाभकारी, पाचन सिस्टम को बनाए बेहतर
इस सब्जी की एक अन्य विशेषता है कि यह यह एनीमिया व आयरन की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद लाभकारी है. इसमें पाए गए मिनरल्स हड्डियों को मजबूत रखने में योगदान देते हैं और उसे लगातार स्वस्थ बनाए रखते हैं. इसे पेट और पाचन सिस्टम के लिए भी बेहतर माना जाता है. उसका कारण यह है कि उसका कारण यह है कि इसमें पाया जाने वाला फाइबर भोजन को आसानी से पचाता है और आंतों की क्रिया को सुचारू बनाए रखता है.