नई दिल्ली : राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह के वक्तव्य के समय विपक्ष के वॉकआउट को लेकर राजनीतिक विवाद और गहराता गया है। सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने विपक्ष पर “दोहरे मापदंड” अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब सरकार ने उनकी मांग पर चर्चा की और गृह मंत्री स्वयं जवाब देने आए, तब विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
नड्डा का तर्क
जेपी नड्डा ने वर्ष 2008 के मुंबई हमलों का उदाहरण देते हुए कहा कि तब यूपीए सरकार के समय राज्यसभा में गृह मंत्री और लोकसभा में प्रधानमंत्री ने जवाब दिया था, जबकि मौजूदा विपक्ष चाहता है कि केवल प्रधानमंत्री ही जवाब दें। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सरकार का विशेषाधिकार है कि किस मंत्री को उत्तर देना है, न कि विपक्ष का।
“विपक्षी दलों ने बहस की मांग की थी। जब गृह मंत्री जवाब देने आए, तो वे सदन से बाहर चले गए। यह दोहरा मापदंड है।” – जे.पी. नड्डा
विपक्ष का जवाब: ‘व्यक्तिगत टिप्पणी का विरोध’
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने वॉकआउट की वजह स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अमित शाह की एक “अपमानजनक टिप्पणी” का विरोध था – जब उन्होंने कहा, “मैं अकेला ही आपको निपटा लूँगा।”
खड़गे ने कहा कि यह विपक्ष का नहीं, बल्कि सदन और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का अपमान था।
“हमने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में हैं, उन्हें बुलाया जाए। हमने बहस का बहिष्कार नहीं किया, अपमानजनक भाषा का किया।” – मल्लिकार्जुन खड़गे
सरकार का पक्ष: “PM पहले ही जवाब दे चुके हैं”
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री पहले ही लोकसभा में 1 घंटे 42 मिनट तक चर्चा का जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा, “गृह मंत्री पूरी तरह सक्षम हैं बहस का उत्तर देने में और सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। विपक्ष यह तय नहीं कर सकता कि कौन बोले।”
सदन स्थगित, विरोध जारी
विपक्ष की मांगों और हंगामे के बीच राज्यसभा को पहले शाम 4:30 बजे और बाद में पुनः स्थगित करना पड़ा। बाद में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिकी टैरिफ पर बयान देते हुए कहा कि “भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”