Jabalpur News : पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक और थर्मल बर्न के निशानों की जांच नहीं

केमिस्ट्री की प्रोफेसर ममता पाठक को अपने पति डॉ. नीरज पाठक की हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसकी सुनवाई के दौरान उन्होंने स्वयं अपना पक्ष रखा। महिला प्रोफेसर की बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

ममता पाठक की दलील थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण इलेक्ट्रिक शॉक बताया गया है। मृतक के शरीर पर मिले जलने के निशान इलेक्ट्रिक और थर्मल दोनों प्रकार के थे, लेकिन इनकी तकनीकी जांच नहीं करवाई गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि घर में एमसीबी और आरसीसीबी जैसी सुरक्षा तकनीकें लगी थीं, जिससे शॉर्ट सर्किट या करंट से मौत होना संभव नहीं था। इसके बावजूद न तो एफएसएल टीम और न ही कोई विद्युत विशेषज्ञ घर की जांच के लिए भेजा गया।

गौरतलब है कि छतरपुर जिला अस्पताल में पदस्थ 65 वर्षीय डॉ. नीरज पाठक की मौत 29 अप्रैल 2021 को उनके लोकनाथपुरम कॉलोनी स्थित घर में हुई थी। उनके शरीर पर पांच स्थानों पर इलेक्ट्रिक बर्न के निशान पाए गए थे। घटना के समय उनकी पत्नी ममता पाठक भी वहीं थीं, जो कुछ माह पूर्व ही उनके साथ रहने आई थीं। रिश्तों में तनाव था, और पत्नी अकसर किसी महिला से पति के संबंधों को लेकर विवाद करती थी।

घटना के दिन दोपहर 12 बजे से पहले डॉक्टर नीरज ने अपने एक रिश्तेदार को कॉल कर बताया था कि पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही है, खाना नहीं दे रही और बाथरूम में बंद कर रखा है। सिर पर चोट लगने की बात भी कही थी। इसके बाद रिश्तेदार ने पुलिस से संपर्क किया और डॉक्टर को बाथरूम से बाहर निकाला गया। रिश्तेदार ने इस बातचीत की रिकॉर्डिंग पुलिस को दी थी और कोर्ट में भी बयान दर्ज कराए थे।

रात करीब 9 बजे डॉक्टर की मृत्यु हो गई। महिला ने दावा किया कि उन्होंने पल्स चेक की तो कोई धड़कन नहीं मिली। इसके बावजूद वह अगले दिन ड्राइवर के साथ डॉक्टर को डायलिसिस के लिए झांसी ले गईं, लेकिन कोविड प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण डायलिसिस नहीं हो सका और वे रात 9 बजे लौट आए। 1 मई को उन्होंने पुलिस को पति की मौत की सूचना दी। घटनास्थल से नींद की गोलियां भी बरामद हुईं।

छतरपुर न्यायालय ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ममता पाठक को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान उन्होंने स्वयं बहस की, बाद में अधिवक्ताओं ने उनका पक्ष रखा।

मामले की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए ममता पाठक की अंतरिम जमानत आदेश आने तक जारी रखने के निर्देश दिए हैं।

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