मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर राज्य शासित धार्मिक स्थलों में सभी वर्ग के लोगों को पुजारी के पद पर नियुक्ति में अवसर प्रदान करने की मांग की गई है। याचिका में मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक-2019 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव जीएडी, सामाजिक न्याय मंत्रालय धार्मिक एवं धर्मस्व मंत्रालय एवं लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं।
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नियुक्त पुजारी को राजकोष से निर्धारित वेतन का भुगतान किए जाने का प्रावधान किया गया है। दलील दी गई कि हिंदू समुदाय में ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग भी शामिल हैं तो फिर केवल एक जाति को ही पुजारी नियुक्त किया जाना भारतीय संविधान से असंगत है। तर्क दिया गया कि अन्य नियुक्तियों की तरह पुजारी की नियुक्ति भी जाति के आधार पर नहीं, वरन योग्यता के आधार पर होनी चाहिए।
राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता डिप्टी एडवोकेट जनरल अभीजीत अवस्थी ने याचिका की प्रचलनशीलता पर प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि अजाक्स एक कर्मचारियों का संगठन है, जिसे उक्त याचिका दाखिल करने का कानूनी अधिकार नहीं है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।