Jabalpur News: दहेज की मांग करते हुए लोगों को भूखा-प्यासा रखना क्रूरता, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

Jabalpur: Keeping people hungry and thirsty while demanding dowry is cruelty, High Court rejected the petition

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि दहेज के लिए भूखा-प्यासा रखना क्रूरता की श्रेणी में आता है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पीड़िता ने सभी आवेदकों पर प्रताड़ना के विशेष आरोप लगाए हैं। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता नितिष उमरिया, उसके माता-पिता तथा जीजा व बहन की तरफ से दायर याचिका में दहेज एक्ट के तहत दर्ज की गई एफआईआर को खारिज किए जाने की प्रार्थना की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि अनावेदिका महिला का विवाह अप्रैल 2018 में याचिकाकर्ता नितिष उमरिया से साथ इटारसी में हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुआ था। विवाद के बाद याचिकाकर्ता पति तथा उसके जीजा ने महिला के मोबाइल मैसेज तथा ईमेल की जांच करते थे। इसके बाद उन्होंने महिला का मोबाइल नंबर बंद करवाकर पासवर्ड बदल दिया था। महिला ने पुलिस में इस संबंध में एफआईआर दर्ज करवाई थी।

महिला कुछ माह बाद जुलाई 2018 में मायके चली गई थी। इसके बाद पति ने कुटुम्ब न्यायालय में धारा 9 के तहत आवेदन किया था। इसके बाद याचिकाकर्ता के पति ने तलाक के लिए भी आवेदन दिया था। न्यायालय में दोनों के बीच समझौता हो गया था। समझौता होने के दूसरे दिन महिला ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ पुलिस में दहेज एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज करवा दिया। एकलपीठ ने पाया कि महिला ने ससुराल पक्ष के खिलाफ सिर्फ इसलिए दहेज प्रताड़ना की एफआईआर दर्ज नहीं करवाई कि उन्होंने तलाक के लिए न्यायालय में आवेदन किया गया था। महिला ने अपनी एफआईआर में सभी याचिकाकर्ताओं पर विशेष आरोप लगाए हैं। उसे दहेज की मांग करते हुए उसे भूखा व प्यासा रखा जाता था। इसके अलावा उसके शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया।

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