मप्र हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले को काफी सख्ती से लिया। जस्टिस अतुल श्रीधरन व जस्टिस डीके पालीवाल की युगलपीठ ने पूर्व आदेश की नाफरमानी को आड़े हाथों लेते हुए आईएनसी के चेयरमैन और सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले को लेकर लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें सिलसिलेवार तथ्यात्मक जानकारी पेश की गई। न्यायालय को बताया गया कि आदेश के बावजूद आईएनसी ने नर्सिंग कॉलेज की मान्यता देने से जुड़ी फाइलें अब तक पेश नहीं की हैं। न्यायालय के आदेशों की लगातार अवहेलना की जा रही है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने आईएनसी की सेक्रेटरी को हाजिर होने कहा था, लेकिन उस आदेश का भी पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से निवेदन किया गया कि मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल की सत्र 2025-26 की मान्यता प्रक्रिया में आवेदन करने वाले कॉलेजों का डाटा उपलब्ध कराया जाए। ऐसा इसलिए ताकि उनकी गड़बड़ियों को न्यायालय के समक्ष रखा जा सके। इसके साथ ही सीबीआई की संपूर्ण जांच के दस्तावेज की सॉफ्ट प्रति भी उपलब्ध कराए जाने की राहत चाही गई। हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग काउंसिल और सीबीआई को उक्त डेटा याचिकाकर्ता को प्रदान करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि नर्सिंग से संबंधित जो भी नया प्रकरण आएगा, वो इस जनहित याचिका के साथ सुना जाएगा। उसकी एक कॉपी याचिकाकर्ता, आईएनसी व नर्सिंग काउंसिल को प्रदान करना होगा। ऐसा नहीं करने पर वह याचिका निरस्त कर दी जाएगी।