जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए उक्त राशि जेब से भरने के आदेश जारी किए हैं।
अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य अभियंता एससी वर्मा की तरफ से पेश की गयी अनुपालन रिपोर्ट में बताया गया था कि याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर हाईकोर्ट के आदेशानुसार उमा देवी (सुप्रा) के मामले में पारित निर्देशों के अनुसार निर्णय लिया गया है। सभी सात याचिकाकर्ता नियमितीकरण के लिए पात्र नहीं पाए गए, क्योंकि उनकी नियुक्ति के समय कोई स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं थे। आरक्षण के प्रावधानों का भी पालन नहीं किया गया था तथा भर्ती नियमों अन्य शर्तें पूरी नहीं की गई थी। वित्त विभाग के परिपत्र के अनुसार, समस्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ दिया गया है।
एकलपीठ ने गत दिवस याचिका की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा था कि अधिकारी न्यायालय को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्य अभियंता एससी वर्मा तथा पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ कृष्ण पाल सिंह राणा को 24 घंटे में न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के आदेश जारी किये थे। मंगलवार को याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारी एकलपीठ ने समक्ष उपस्थित हुए।
सुनवाई के दौरान परिपालन रिपोर्ट में पेश किये गये आदेश को वापस लेते हुए पूर्व में पारित आदेश का अक्षरशः पालन करने का आश्वासन एकलपीठ को दिया गया। अवमानना याचिका में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान परिपालन रिपोर्ट में पेश किये गये आदेश को वापस लेते हुए पूर्व में पारित आदेश का अक्षरशः पालन करने का आश्वासन दिया गया।
एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि मुख्य अभियंता ने निरंतर कोर्ट के साथ धोखाधड़ी का व्यवहार किया, जिस कारण उनके विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित करने के भी निर्देश दिये जाते हैं। प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी तीन माह में जांच पूरी कर हाईकोर्ट रजिस्ट्री में रिपोर्ट पेश करें। इसके अलावा एकलपीठ ने एक लाख रुपये की कॉस्ट लगाते हुए निजी तौर पर उक्त राशि जमा करने के आदेश जारी किये हैं।