मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक केस के दौरान जज को लेकर एक एडवोकेट की टिप्पणी का एक ऐसा मामला सामने आया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया। दरअसल क्रिमिनल रिवीजन अपील की सुनवाई को लेकर अपीलकर्ता के अधिवक्ता का नंबर नहीं आने पर इस वो इस कदर नाराज हुए कि वो ये भूल गए कि वो कोर्ट में हैं और जज पर भड़क गए। अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘इस कोर्ट में चार घंटों से तमाशा चल रहा है, मैं बैठे देख रहा हूं।’ इस टिप्पणी पर जस्टिस अनुराधा शुक्ला की एकलपीठ ने अपीलकर्ता के बयान को न्यायालय के खिलाफ अपमानजनक और अवमाननापूर्ण करार दिया। मामले में एकलपीठ ने आदेश की प्रमाणित प्रति हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजने के आदेश जारी किए और कहा कि चीफ जस्टिस आदेश की प्रति का अवलोकन कर आवश्यक कार्रवाई के संबंध में निर्णय लें।
मामले के अनुसार छिंदवाड़ा निवासी राजहंस बगाडे़ तथा विजय की तरफ से क्रिमिनल रिवीजन अपील दायर की गई थी। अपील की सुनवाई के दौरान विगत 22 मार्च को उनके अधिवक्ता पीसी पालीवाल सुनवाई का नंबर न आने को लेकर भड़क गए। उन्होंने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘इस कोर्ट में चार घंटों से तमाशा चल रहा है, मैं बैठे देख रहा हूं। हाईकोर्ट जज दूसरी जगह जाकर कहते हैं कि नए जज का अपॉइंटमेंट करो, लेकिन जजेस का हाल तो देखो, जो दिल्ली में यह भी देखा जाए। यहां पेडेंसी बढ़ रही है और हमें हैरेस किया जा किया जा रहा है। मैं आज शाम को जाकर मोहन यादव से बात करूंगा। ये केस 20 बार आ चुका है, बड़ी मुश्किल से आज लिस्ट हुआ है। मैं अपने केस की बहस यहां नहीं करना चाहता, इसे दूसरी बेंच में भेज दीजिए। इस पर जस्टिस शुक्ला ने इस टिप्पणी को अपमानजन और अनुचित करार देते हुए मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया।