देश 120 से अधिक रिक्रूटमेंट एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के प्रेसिडेंट, Lohit Bhatia ने बताया, “इस सेक्टर में कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की हायरिंग में गिरावट इस सेक्टर में हायरिंग में ग्लोबल स्लोडाउन के समान है।” हालांकि, इसके साथ ही उनका कहना था कि मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और रिटेल सेक्टर्स में कंज्यूमर डिमांड अधिक होने सा हायरिंग मजबूत बनी हुई है।
कोरोना के दौरान IT कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था। हालांकि, पिछले एक वर्ष में ग्लोबल इकोनॉमी में कमजोरी, बहुत सी कंपनियों के वर्क फ्रॉम होम को समाप्त कर एंप्लॉयीज को ऑफिस बुलाने और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण इस सेक्टर में स्लोडाउन बढ़ा है। पिछले सप्ताह JP Morgan की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इन्फ्लेशन बढ़ने, सप्लाई चेन की मुश्किलों और रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों की ग्रोथ पर लगाम लग सकती है। पिछली तिमाही में IT सेक्टर में कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की हायरिंग तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 6 प्रतिशत घटी है। इसमें अगली कुछ तिमाहियों में भी कमजोरी रह सकती है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, देश की बेरोजगारी दर अप्रैल में लगातार चौथे महीने बढ़कर 8.11 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इससे पिछले महीने 7.8 प्रतिशत पर थी। इस वर्ष की शुरुआत में ग्लोबल IT कंपनी Microsoft ने हजारों वर्कर्स की छंटनी करने का फैसला किया था। कंपनी की योजना अपनी वर्कफोर्स को लगभग 5 प्रतिशत कम करने की है। माइक्रोसॉफ्ट से लगभग 11,000 वर्कर्स को बाहर किया जा सकता है। इसमें इंजीनियरिंग और ह्युमन रिसोर्सेज डिविजंस पर अधिक असर होगा। माइक्रोसॉफ्ट पर अपनी क्लाउड यूनिट Azure के ग्रोथ रेट को बरकरार रखने का प्रेशर है। पिछली कुछ तिमाहियों से मंदी के कारण पर्सनल कंप्यूटर्स के मार्केट को नुकसान हुआ है और इससे माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज और डिवाइसेज की बिक्री में भारी कमी आई है।