आजादी के बाद सितंबर, 1949 में महाराजा बोधचंद सिंह के हस्ताक्षर से मणिपुर भारत में शामिल हो गया। पहले वह केन्द्रशासित क्षेत्र था, 1962 में राज्य बना। लेकिन जमीन और आबादी की असमानता की समस्या नहीं सुलझ पाई।
बीजेपी की एन. बीरेन सिंह सरकार द्वारा मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान और पहाड़ियों में गांजा-भांग-पोस्ते की खेती के इलाके में कमी का अभियान इस बार हिंसा शुरू होने का कारण बना। इसमें इम्फाल के मादक पदार्थां के व्यापारियों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। सरकार का अभियान सही तरीके से चलता, तो जनजातियों के जीवन-यापन पर असर होता जबकि मादक पदार्थों के व्यापारियों और इसमें निवेश करने वाले लोग भी काफी कुछ खो देते। खास बात है कि ये ज्यादातर मैतेई हैं।
ठीक है कि आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग इस वक्त काफी अपरिपक्व है लेकिन इन सबके स्थायी समाधान को काफी दिनों तक नहीं टाला जा सकता।