नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने बताया कि इस योजना के लागू होने के बाद इंदौर मध्य प्रदेश का पहला ऐसा शहर बन जाएगा, जहां मृत जानवरों का वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल तरीके से अंतिम संस्कार किया जाएगा। भविष्य में इस प्लांट में पालतू जानवरों का भी अंतिम संस्कार संभव होगा, जिसके लिए शुल्क निर्धारित किया जाएगा। इस पहल से न केवल स्वच्छता में सुधार होगा, बल्कि शहर में बढ़ते प्रदूषण को भी रोका जा सकेगा। यह योजना स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
भोपाल और ग्वालियर में पहले से मौजूद है यह सुविधा
भोपाल और ग्वालियर जैसे शहरों में पहले ही एनिमल इंसीनरेटर की सुविधा उपलब्ध है। भोपाल में 5 करोड़ की लागत से एक इंसीनरेटर लगाया गया है, जो प्रतिदिन 35–40 मृत जानवरों का अंतिम संस्कार कर सकता है। इसकी क्षमता प्रति घंटे 300 किलो और पूरे दिन में लगभग 4 टन शवों के अंतिम संस्कार की है। इसमें डबल स्क्रबर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है, जो धुएं को ठंडा कर उसमें मौजूद हानिकारक कणों को फिल्टर करती है। ग्वालियर के केदारपुरा क्षेत्र में भी दो इंसीनरेटर 7–8 करोड़ रुपये की लागत से लगाए जा चुके हैं, जिससे वहां भी जमीन और भूजल को प्रदूषण से बचाया जा रहा है।
देश के अन्य शहरों में भी है अंतिम संस्कार की सुविधा
दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मृत जानवरों के अंतिम संस्कार की यह व्यवस्था पहले से लागू है। दिल्ली, आगरा और कोटा जैसे शहरों में यह सिस्टम सफलतापूर्वक काम कर रहा है। खासकर आगरा में अंतिम संस्कार के बाद पशु अस्थियां परिजनों को विसर्जन के लिए सौंपी जाती हैं। यह व्यवस्था न केवल धार्मिक भावना का सम्मान करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी बेहद जरूरी मानी जा रही है। अब इंदौर भी इस आधुनिक सुविधा से लैस हो जाएगा, जिससे यह शहर एक नई मिसाल कायम करेगा।