पाकिस्तान छोड़कर आने वाले कई परिवार इंदौर में बसना ज्यादा पसंद है। तीन सालों में करीब 300 लोगों को भारत की नागरिकता मिली है। उनमें से ज्यादातर इंदौर में रह रहे है। समाजजन इस बारे में कहते है कि इंदौर में समाज के लोग पाकिस्तान के परिवारों को मदद करते है। उन्हें व्यापार में भी मदद मिलती है।
सीएए कानून आने के बाद भारत में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से जो शरणार्थी इंदौर में बसे थे। उन्हें नागरिकता मिलने में परेशानी आती थी, लेकिन दो साल पहले थोकबंद तरीके से उन्हे नागरिकता मिली। इंदौर में समारोह आयोजित कर नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपे गए। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी भी सिंधी समाज का प्रतिनिधित्व करते है। इस कारण भी इंदौर में पाकिस्तान से आए परिवारों को बसने में मदद मिली।
इंदौर में खोला था कार्यालय
जब इंदौर में पाकिस्तानी परिवारों को नागरिकता देने की बात उठी तो इसके लिए जैकबाबाद पंचायत ने इंदौर में एक कार्यालय खोला। जहां पर पाकिस्तानी शरणार्थियों को दस्तावेजों की जानकारी, नागरिकता की प्रक्रिया देने में मदद की गई। प्रदेश में सबसे ज्यादा नागरिकता इंदौर में दी गई। सिंधी सभा के नरेश फुंदवानी कहते है कि पाकिस्तान से आए कई परिवार नागरिकता मिलने के बाद इंदौर में बसे।
उनकी दूसरी पसंद भोपाल का बैरागढ़ है। इंदौर में तीन सिंधी बाहुल्य क्षेत्र है।देश के दूसरे बड़े शहरों की तुलना में इंदौर में उन परिवारों को प्राॅपर्टी कम कीमत में मिल जाती है। इसके अलावा व्यापार की दृष्टी से भी इंदौर ज्यादा बेहतर है। समाज के लोग और रिश्तेदार भी पाकिस्तान छोड़कर आए परिवारों को मदद करते है। इस कारण इंदौर उन्हें ज्यादा पसंद है।