
पटाखा दुकान में कोई दुर्घटना (accident) हो जाए तो किसी पर मुकदमा (trial) नहीं चल सकता यह जानकार आश्चर्य होगा, क्योंकि पटाखा दुकानों के लाइसेंस (License) भी मुर्दों (murdon) के नाम पर जारी किए जा रहे हैं। फटाका लायसेंस के नवीनीकरण के दौरान दो साल पहले मृत एक बुजुर्ग के पोते ने लायसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन जमा कराया तब जाकर इस सेटिंग का खुलासा हुआ।
दीपावली के पर्व के नजदीक आते ही फटाका व्यवसायियों के लायसेंस के नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाती है। स्थायी के साथ-साथ अस्थायी दुकानों के लिए सात दिन का लायसेंस मुहैया कराया जाता है, लेकिन लायसेंस रिन्यू करने के दौरा दस्तावेजों का परीक्षण किस तरह से किया जाता है, इसका उदाहरण कल कलेक्टर कार्यालय में दो साल पूर्व मृत हो चुके बुजुर्ग के नाम से संचालित फटाका दुकान के लायसेंस का नवीनीकरण आवेदन पहुंचने पर हुआ। दो साल पहले मृत व्यक्ति के लायसेंस के नवीनीकरण के लिए पहुंचे युवक ने बताया कि दादाजी के नाम से पिछले कई सालों से लायसेंस संचालित हो रहा है व नवीनीकरण कराया जाता है। पूछताछ में युवक ने बताया कि उसके दादाजी की मृत्यु दो वर्ष पहले ही हो चुकी है। पिछले वर्ष भी बिना किसी पूछताछ के लायसेंस का नवीनीकरण किया गया था, इस वर्ष भी हो जाएगा। युवक के दबाव बनाने पर कर्मचारियों ने आवेदन तो जमा कर लिया।
नए लायसेंस के नाम पर प्रशासन ने 600-600 रुपए हड़पे…
वैसे तो पटाखा दुकानों के लिए अस्थायी लायसेंस की प्रक्रिया 18 अक्टूबर को शुरू होना थी, लेकिन दो दिन के अवकाश के चलते कल से आवेदन जमा करवाए गए। नए आवेदनों को लेने से अधिकारियों ने इनकार कर रखा है, लेकिन उसके बावजूद भी 600 रुपए का चालान बनाकर आवेदन जमा कराए जा रहे हैं। नए आवेदन जमा करने की प्रक्रिया में आवेदकों से शपथ पत्र लिया जा रहा है कि वे आवेदन स्वीकार नहीं होने की सूरत में 600 रुपए की भुगतान की वापसी नहीं मांगेंगे, जबकि यदि आवेदन स्वीकार ही नहीं किए जाना है तो पैसे क्यों जमा किए जा रहे हैं।