अगर आपके भी बच्चे के साथ ऐसा होता है और आप इसे मौसमी बीमारी मानकर दवा दिलाने ले जाते हैं और फिर आराम से बैठ जाते हैं तो आपको बता दें कि अस्पतालों में ज्यादातर मामले ऐसे ही आ रहे हैं. जब मम्मियों को पता ही नहीं है कि जिसे वे सामान्य बीमारी समझ रहीं हैं, दरअसल उनके बच्चे के शरीर में एक जरूरी विटामिन की कमी होती जा रही है.
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में प्रोफेसर डॉ. सतीश कुमार बताते हैं कि आरएमएल में बहुत सारे ऐसे छोटे बच्चे आ रहे हैं जिनमें विटामिन्स और कैल्शियम की कमी पाई जा रही है. इनमें विटामिन डी की कमी के बच्चे बहुत ज्यादा हैं. इसकी वजह से शरीर में कैल्शियम भी घट रहा है और बच्चों की हड्डियां कमजोर हो रही हैं.
हड्डियों पर पड़ता है बुरा असर..
डॉ. कहते हैं कि अगर बच्चे को बार बार दस्त हो रहे हैं और कम अवधि में कई बार ऐसा ही देखने को मिल रहा है तो समझ लें कि आपके बच्चे में विटामिन डी 3 की कमी हो गई है. बार बार दस्त लगना विटामिन डी की कमी का सबसे प्रमुख लक्षण है. दस्त के साथ थकान और कमजोरी बढ़ने से बच्चे की हड्डियां और मांसपेशियां दोनों ही ग्रोथ करना बंद कर देती हैं.
कई रिसर्च बताते हैं कि विटामिन डी की कमी से आंत न्यूट्रीशन का अवशोषण नहीं कर पाती और दस्त हो जाता है. अगर आपके बच्चे में ऐसा हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और न्यूट्रीशन की जांच कराएं.
न दें विटामिन डी सप्लीमेंट्स
अपने बच्चों को विटामिन डी के सप्लीमेंट्स न दें. डॉक्टर कहते हैं कि ऊपर से सप्लीमेंट के रूप में विटामिन डी की टेबलेट, विटामिन डी के शैशे या सिरप न दें. बल्कि बच्चों को रोजाना सूरज की रोशनी में कम से कम एक घंटे तक रोजाना खेलने दें.
खाने में दें ये चीजें..
डॉ. सतीश कहते हैं कि विटामिन डी की कमी पूरी करनी है तो सबसे जरूरी है बच्चे को दोनों टाइम पेट भरके खाना खिलाना. इस खाने में दाल, चावल, सब्जी, रोटी और दही होना बेहद जरूरी है. बच्चे को दूध जरूर दें. इसके अलावा विटामिन डी की पूर्ति के लिए बच्चे को हरी सब्जियां खिलाएं, इनमें पालक विटामिन डी का सबसे बेस्ट सोर्स है.