Denvapost exclusive: मध्य प्रदेश में गाय हमेशा राजनीति के केंद्र में रही। आवारा गायों, गौशालाओं का मुद्दा हर राजनीति दल उठाता रहा, पर दुख की बात है कि गाय एक ऐसा विषय है जो सिर्फ राजनीति के लिए है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2019 से लेकर सितंबर 2022 तक गौशालाओं के लिए 439 दानदाताओं ने 5 लाख 90 हजार रु. का दान दिया, लेकिन इस सूची में प्रदेश के एक भी सांसद विधायक का नाम शामिल नहीं है।
राजनीति से काम चल रहा तो दान कौन करे
प्रदेश में लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 40 सांसद और 230 विधायक हैं। इनके साथ सरपंच और पार्षदों की संख्या भी जोड़ ली जाए तो कुल जनप्रतिनिधियों की संख्या 39 हजार 41 होती है। अब ये सभी एक हजार रुपए साल का भी गौशालाओं को दान में दे तो ये राशि होगी करीब 3 करोड़ 83 लाख रुपए होती है, लेकिन ऐसा होता नहीं है, क्योंकि गायों पर जब राजनीति से ही काम चल रहा हो तो दान कौन करे।
प्रदेश में गायों की दुर्दशा
मध्यप्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड के पास 1757 गौशालाएं रजिस्टर्ड हैं। इनमें 2 लाख 78 हजार बेसहारा गायें रहती हैं। सरकार रोजाना एक गाय के दाना पानी के लिए 20 रुपए देती है और इस पर खर्च होता है सालाना 200 करोड़ रुपए। हालांकि इस राशि को भी कम ही माना जाता है। वहीं सड़कों पर साढ़े पांच लाख गायें हैं। इन्हें गौशाला में रखने और देखभाल करने के लिए 300 करोड़ रुपए सालाना की जरूरत है। अब ये पैसा तो इकट्ठा हो ही नहीं रहा है।