हमीदिया अस्पताल
राजधानी भोपाल में मरीज को उच्च स्तरीय इलाज मुहैया कराने के लिए 727 करोड़ की लागत से हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग तैयार की गई है, लेकिन इसके निर्माण की गुणवत्ता पर अभी से सवाल उठने लगे हैं। अस्पताल की नई बिल्डिंग की एक बार फिर से रविवार देर रात करीब सवा बारह बजे इमरजेंसी वार्ड की फॉल सीलिंग गिर गई। हादसा उस वक्त हुआ जब डॉक्टर सौमित्र बाथम मरीजों को देख रहे थे। यह वही कमरा है जहां पर पर्चा बनवाने के बाद मरीज सबसे पहले पहुंचते हैं। हालांकि नई बिल्डिंग की फॉल सीलिंग गिरने का ये पहला नहीं बल्कि चौथा मामला है।
मरीज को देख रहे डॉक्टर ने बताई पूरी घटना
इमरजेंसी में हुई फॉल सीलिंग की घटना के समय वहां मौजूद डॉ. सौमित्र बाथम ने बताया कि घटना रविवार रात करीब सवा 12 बजे मै इमरजेंसी वार्ड में अपने कैबिन में मरीज देख रहा था। इसी दौरान खिड़की के पास की फॉल सीलिंग भरभरा कर गिर गई। मै पेशेंट के साथ केबिन से तुरंत बाहर आ गया। गनीमत रही कि मुझे और पेशेंट को कोई चोट नहीं आई। जिसके बाद फॉल सीलिंग गिरने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले साल अगस्त में किया था उद्घाटन
हमीदिया अस्पताल की इमरजेंसी का उद्घाटन अगस्त 2023 में पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। साथ ही उन्होंने गांधी मेडिकल कॉलेज में नए ओपीडी ब्लॉक का भूमिपूजन भी किया था। बिल्डिंग 727 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की गई थी। हमीदिया अस्पताल इमरजेंसी में रोजाना 150 से अधिक मरीज इलाज करने आते हैं। 24 घंटे की बात की जाए तो यह संख्या 200-350 तक होती है।
वर्ल्ड क्लास ट्रीटमेंट देने की हुई थी बात
तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा था कि हमारा यह सपना था कि हमारे मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट को वर्ल्ड क्लास ट्रीटमेंट मिल सके। जैसा कि कॉर्पोरेट अस्पतालों में होता है। इसके लिए हमने यहां सभी सुविधाओं की व्यवस्था की । हम यहां सुनिश्चित करेंगे कि किस ढंग से पेशेंट को किस स्तर की चिकित्सीय व्यवस्था की जरूरत है, उसके लिए हमने तीन जोन रेड, येलो और ग्रीन बनाए थे।
11 मंजिल की बिल्डिंग की लिफ्ट आए दिन रहती है बंद
हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग 727 करोड़ की लागत से बन तो गई मगर अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां आने वाले मरीजों को अभी भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 11 मंजिल की बिल्डिंग में आए दिन लिफ्ट बंद रहती है, जिससे मरीजों के परिजनों को ऊपर जाने में काफी मस्कत करनी पड़ती है। यह लिफ्ट आए दिन बंद रहती है, जिसकी शिकायत मरीज अपने फीडबैक में भी देते हैं। लेकिन यहां के जिम्मेदार अधिकारी लिफ्ट को संचालित करने वाली कंपनी पर ना तो कोई चालान करते हैं ना ही कोई कार्रवाई।
व्हीलचेयर के लिए भी काटने पड़ते हैं चक्कर
मरीज जब अस्पताल पहुंचता है तो उसे सीरियस होने की कंडीशन में व्हीलचेयर या स्टेचर की जरूरत पड़ती है। लेकिन हमीदिया अस्पताल में मरीज को व्हीलचेयर या स्टेचर लेने के लिए चक्कर काटने पड़ जाते हैं। यहां तैनात वार्ड बॉय भी गायब रहते हैं बार-बार शिकायत करने के बाद ही मरीजों को व्हीलचेयर स्टेशन मिल पाता है इसकी भी शिकायत लगातार होती रहती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। हमीदिया के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचने वाले मरीज और उनके परिजनों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है।
436 से 726 करोड़ तक बढ़ी राशि, गुणवत्ता फेल
जानकारी के लिए बतादें कि हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग के लिए शुरुआत में 436 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। इसका वर्क ऑर्डर 2016-17 में जारी किया गया था। इसकी डेडलाइन वर्ष 2018-19 रखी गई थी। लेकिन, बिल्डिंग में बदलावों के चलते बजट रिवाइज होने के बाद पहले 479 करोड़ फिर 727 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसको अगल-अगल कारण से 13 बार एक्सटेंशन दिए गए। इसमें ब्लॉक-1 करीब 165 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है। बिल्डिंग की क्षमता 200 बिस्तर है। इस अस्पताल के काम पूरा होने की कई बार टाइमलाइन बढ़ाई गई थी, बावजूद इसके अस्पताल के बिल्डिंग का गुणवत्ता युक्त काम नहीं किया गया।