“मुझे मारो, मेरी यातना दो, मेरा शरीर नष्ट कर दो, लेकिन तुम मेरी आत्मा को कैद नहीं कर सकते।” – महात्मा गांधी (gandhi) के ये शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे की बंदूक से निकली गोली ने महात्मा गांधी के शरीर को मार डाला, लेकिन वह ‘गांधी’ को मारने में विफल रही। क्योंकि गांधी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार थे। और विचार कभी मरते नहीं हैं। वे समय और सीमाओं को पार करके मानवता का मार्गदर्शन करते रहते हैं।

गांधी (gandhi) : मनुष्य से महान एक विचार का सफर
मोहनदास करमचंद गांधी (gandhi) का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। वह एक डरपोक, अनिश्चित बालक थे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका की एक ट्रेन की कोच में हुई नस्लीय भेदभाव की घटना ने उस साधारण मनुष्य को एक असाधारण विचार में बदल दिया। यहीं से ‘सत्याग्रह’ का जन्म हुआ – सत्य की शक्ति पर आधारित एक अहिंसक संघर्ष। गांधी ने सिद्ध किया कि सत्य और अहिंसा की शक्ति, बंदूक और गोली की शक्ति से कहीं अधिक प्रबल होती है।
भारत की आजादी की लड़ाई में गांधी (gandhi) ने इसी विचार को अपनाया। दांडी मार्च, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन – ये सभी उनके विचार के विस्तार थे। उन्होंने एक पूरे राष्ट्र को यह सिखाया कि अहिंसक तरीके से भी सबसे शक्तिशाली साम्राज्य को झुकाया जा सकता है। 15 अगस्त 1947 को भारत ने आजादी प्राप्त की, लेकिन गांधी (gandhi) की सबसे बड़ी जीत स्वतंत्रता का झंडा नहीं, बल्कि भारतीयों के दिलों में बसा ‘विचार’ था।
यह भी पढ़े मध्यप्रदेश में व्हाट्सएप की जगह स्वदेशी ‘अरत्तई’ एप (arattai app) की एंट्री
गांधीवाद: केवल एक दर्शन नहीं, एक जीवन शैली
गांधीवाद केवल राजनीतिक सिद्धांतों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन शैली है। इसके मुख्य स्तंभ हैं:
- अहिंसा (Non-Violence): गांधी के लिए अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा न करने तक सीमित नहीं थी। इसमें मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर रहना शामिल था। वह मानते थे कि हिंसा समस्याओं का अस्थायी समाधान है, जबकि अहिंसा स्थायी शांति की नींव रखती है।
- सत्य (Truth): गांधी (gandhi) का मानना था कि “सत्य ही ईश्वर है।” वह जीवन भर सत्य की खोज में रहे। उनके लिए सत्याग्रह – सत्य के प्रति आग्रह – सबसे शक्तिशाली हथियार था।
- स्वदेशी और स्वावलंबन: चरखा और खादी केवल आर्थिक प्रतीक नहीं थे। वे स्वावलंबन, ग्रामीण उद्योग और आत्मनिर्भरता के विचार के प्रतीक थे। गांधी (gandhi) का सपना था कि भारत का हर गांव एक स्वावलंबी इकाई बने।
- सादगी और नैतिकता: गांधी (gandhi) का जीवन सादगी और उच्च नैतिक मूल्यों का उदाहरण था। उनका मानना था कि “दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह स्वयं बनें।”
आधुनिक विश्व में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता
आज का युग हिंसा, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक असमानता और नैतिक मूल्यों के ह्रास का दौर है। ऐसे में गांधी (gandhi) के विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण: गांधी (gandhi) का कहना था, “पृथ्वी हर व्यक्ति की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए नहीं।” यह विचार आज स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण की नींव है। सादा जीवन और प्रकृति के साथ सामंजस्य आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
- सामाजिक न्याय और समानता: गांधी (gandhi) जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव के सख्त विरोधी थे। उनका सपना एक समावेशी समाज का था। आज भी जब समाज में विभाजन और नफरत फैलाने का प्रयास होता है, गांधी का विचार हमें एकता और मानवता का पाठ पढ़ाता है।
- लोकतंत्र और नागरिक अधिकार: दुनिया भर में, नागरिक अधिकारों के लिए होने वाले अहिंसक आंदोलनों ने गांधी के विचारों को अपनाया है। अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर से लेकर दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला तक, सभी ने गांधी के सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाया और सफलता प्राप्त की।
- शांति और संघर्ष समाधान: परमाणु हथियारों की दौड़ और क्षेत्रीय संघर्षों के इस युग में, गांधी का अहिंसा का दर्शन ही एकमात्र विकल्प प्रतीत होता है। वह सिखाते हैं कि विरोधी को नष्ट किए बिना भी संघर्षों का समाधान संभव है।
वैश्विक प्रभाव: गांधी (gandhi) का विचार दुनिया को कैसे प्रभावित कर रहा है?
गांधी का विचार भारत की सीमाओं से बहुत आगे तक पहुँच चुका है।
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में अश्वेतों के नागरिक अधिकारों की लड़ाई में गांधी के अहिंसक तरीकों को अपनाया। उन्होंने कहा था, “ईसा मसीह ने हमें लक्ष्य और संघर्ष का तरीका दिया, जबकि गांधी ने हमें विधि दी।”
- नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीतियों के खिलाफ लड़ाई में गांधी से प्रेरणा ली। मंडेला ने माना कि गांधी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास ने वहाँ की जनता को अहिंसक प्रतिरोध का रास्ता दिखाया।
- बराक ओबामा ने संसद में अपने भाषण में कहा था, “मैं हमेशा गांधी के विचारों से प्रेरणा लेता हूँ। वह न केवल भारत के, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा हैं।”
- ग्रेटा थनबर्ग के नेतृत्व में चल रहा जलवायु आंदोलन भी अहिंसक प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा पर आधारित है, जो गांधी के विचारों की ही एक झलक है।
गांधी (gandhi) अमर हैं
नाथूराम गोडसे ने सोचा होगा कि उसने गांधी को मार डाला। लेकिन उसने वह कर दिया जिसकी गांधी (gandhi) ने कभी कल्पना भी नहीं की थी – उसने एक व्यक्ति को एक अमर विचार में बदल दिया। गांधी का शरीर हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनका विचार हर उस इंसान में जिंदा है जो अत्याचार के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध करता है, हर उस Aktiviste में जिंदा है जो पर्यावरण की रक्षा के लिए लड़ता है, और हर उस आम आदमी में जिंदा है जो सत्य और नैतिकता के मार्ग पर चलने का प्रयास करता है।
जब भी कोई कमजोर न्याय के लिए आवाज उठाता है, तो गांधी जीवित हो उठते हैं। जब भी कोई संघर्ष बिना हिंसा के सुलझाया जाता है, तो गांधी की विजय होती है। यही कारण है कि गांधी एक विचार हैं। और विचार कभी मरते नहीं। वे अनंत काल तक मानव सभ्यता का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
