
नई दिल्ली।
पढ़ाई का दबाव, प्रतियोगी परीक्षाओं की दौड़ और सोशल मीडिया का आकर्षण—आज के दौर में बच्चों और युवाओं के सामने ये सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। हालात यह हैं कि माता-पिता तक शिकायत करने लगे हैं—“बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते, थके-थके लगते हैं और उनका ध्यान बार-बार भटकता है।”
बच्चों की मनोदशा पर असर
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस स्थिति से बच्चों की मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास प्रभावित हो रहा है। लंबे समय तक तनाव रहने पर उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है और वे पढ़ाई तथा खेलकूद दोनों में पिछड़ सकते हैं।
समाधान क्या है?
विश्व जागृति मिशन की वाइस चेयरपर्सन और ध्यान विषय की विशेषज्ञ डॉ. अर्चिका (Ph.D. in Meditation) का कहना है—
“ध्यान ही वह साधन है, जो बच्चों को एकाग्रता, आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्रदान कर सकता है। जैसे भोजन शरीर को ऊर्जा देता है, वैसे ही ध्यान मन और मस्तिष्क को शक्ति देता है।”
बच्चों के लिए ध्यान क्यों जरूरी?
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रोजाना ध्यान करने से तनाव कम होता है।
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याददाश्त और एकाग्रता में सुधार होता है।
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पढ़ाई और खेलकूद में संतुलन आता है।
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सोशल मीडिया और मोबाइल की लत कम होती है।
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आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
डॉ. अर्चिका का सुझाव है कि माता-पिता भी बच्चों के साथ प्रतिदिन 10 मिनट ध्यान करें। इससे न केवल बच्चों बल्कि परिवार का वातावरण भी सकारात्मक होता है।
एकाग्रता बढ़ाने के अभ्यास
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गायत्री मंत्र ध्यान – शांत वातावरण में बैठकर धीरे-धीरे मंत्र का उच्चारण करें और मन को केंद्रित करें।
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श्वास ध्यान – आंखें बंद कर गहरी सांस लें और छोड़ें, हर सांस पर ध्यान लगाएं।
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ओम जप ध्यान – ‘ॐ’ का उच्चारण करते हुए ध्वनि और उसके कंपन पर मन केंद्रित करें।
बच्चों और युवाओं के सामने बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि ध्यान कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यक जीवनशैली है। बचपन से ही ध्यान का अभ्यास करने वाले विद्यार्थी न केवल पढ़ाई में आगे रहते हैं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और सफलता हासिल करते हैं।