नर्मदापुरम : कलेक्टर कार्यालय में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने पत्रकारों को 1 जुलाई से लागू नए भारतीय न्याय संहिता बी.एन.एस एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बी.एन.एस एस के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कलेक्टर सोनिया मीना ने इस अवसर पर कहा कि ये नए कानून दंड व्यवस्था को न्याय व्यवस्था में बदलने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हैं। उन्होनें बताया कि भारतीय न्याय संहिता बी.एन.एस एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बी.एन.एस एस के कार्यान्वयन ने भारत के कानूनी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य एक अधिक न्यायसंगत और कुशल आपराधिक न्याय प्रणाली प्रदान।
नेमा द्वारा बताया गया कि देश में नवीन कानून संहिता लागू करने के लिए कौन से प्रमुख घटक आवश्यक थे जिनके कारण देश में नवीन कानून संहिता लागू की गई। जिला अभियोजन अधिकारी ने बताया की नई संहिता में प्रथम अध्याय में धारा 1 से 3 तक प्रारंभिक विषय वस्तु का प्रावधान है। इसी प्रकार अध्याय 2 में धारा 4 से 13 तक दंड के विषय में वर्णन है, धारा 14 से लेकर 44 तक अध्याय 3 में साधारण अपवाद के विषय में प्रावधान है, धारा 45 से 62 तक अध्याय 4 में दुष्प्रेरण आपराधिक षड्यंत्र और पर्यटन तथा इसी प्रकार अध्याय 5 में धारा 63 से लेकर धारा 99 तक महिला और बालक के विरुद्ध अपराधों के विषय में कानूनों का प्रावधान है।
कानून के जानकार नेमा द्वारा जानकारी दी गई कि इन तीनों कानून का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। उन्होंने कहा कि ये नवीन कानून दंड नहीं बल्कि न्याय केंद्रित हैं। पुरानी दंड संहिता का औपनिवेशिक चरित्र, विधि व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए, समकालीन आवश्यकताओं के लिए, पुरानी दंड संहिता के जटिल होने के कारण, जुर्माना व्यावहारिक ना होने के कारण नवीन भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को लागू करने की आवश्यकता हुई है। जिला अभियोजन अधिकारी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में संगठित अपराधों को भी नवीन अपराधों की श्रेणी में समाहित किया गया है। इस श्रेणी में सतत विधि विरुद्ध क्रियाकलाप जिसमें अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, भूमि पर कब्जा, अनुबंध हत्या, ड्रग्स, हथियार, अवैध वस्तु या सेवाओं की तस्करी या फिर फिरोती के लिए मानव तस्करी आदि सम्मिलित है। किसी व्यक्ति या व्यक्ति के समूह द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से या एक संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर शहंशाह का उपयोग करके हिंसा की धमकी दबाव द्वारा प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष भौतिक लाभ जिसमें व्यक्ति लाभ भी शामिल है प्राप्त करने के लिए किया जाता है वह संगठित अपराध माना जाएगा।
नए कानूनों की मुख्य विशेषताएं:
* सरलीकृत ढांचा: नए कानूनों में अध्यायों और धाराओं की संख्या कम कर दी गई है, जिससे ये अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल हो गए हैं।
* पीड़ितों पर जोर: नए कानून पीड़ितों, खासकर महिलाओं और बच्चों को अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
* तकनीकी उन्नति: नए कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के प्रावधान शामिल हैं।
* संगठित अपराध: नए कानून अपहरण, जबरन वसूली और मानव तस्करी जैसे संगठित अपराधों से निपटने के लिए विशिष्ट प्रावधान पेश करते हैं।
भारतीय न्याय संहिता 2023 में जोड़ी गई अन्य परिभाषाओं के संबंध में भी जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा समस्त पत्रकार बंधुओ को अवगत कराया गया जिसमें धारा 02 उपधारा 01 अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के कोई भी व्यक्ति को बालक की श्रेणी में रखा गया है। इसी प्रकार धारा 02 उप धारा 20 अंतर्गत मांस और वर्ष की गणना के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर से गणना किए जाने की प्रावधान किए गए हैं तथा धारा 02 उप धारा 21 अंतर्गत जंगम संपत्ति के अंतर्गत भूमि और वे चीज है जो भूमिबद्ध हो या भुबांध किसी चीज से स्थाई रूप से जकड़ी हुई हो के अलावा प्रत्येक प्रकार की संपत्ति आती है।
जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा लोक स्थल पर लोक सेवकों के साथ घटित होने वाले अपराधों के बारे में भी विस्तृत रूप से सभी पत्रकार साथियों को अवगत कराया। उन्होंने पूर्व में आईपीसी की धाराओं तथा नवीन बीएनएस की धाराओं के मध्य अंतर बताकर सरल शब्दों में लोक सेवकों को उनके अधिकारों के बारे में बताया। श्री नेमा द्वारा पत्रकार साथियों की शंकाओं का समाधान भी इस प्रशिक्षण कार्यशाला में किया गया।