भारत कैंसर की राजधानी, दिल्ली में हर तीसरे को डायबिटीज! पद्म सम्मानित डॉक्टरों ने दी चेतावनी

Padma Awardee Doctors Warn Indians: भारत ओरल कैंसर की राजधानी बन चुका है. सिर्फ में दिल्ली में हर तीसरे व्यक्ति को डायबिटीज है. 30 फीसदी लोग प्री डायबिटिक हैं और डायबिटीज के शिकार बनने की ओर बढ़ रहे हैं. यह देश भले ही दुनिया के सबसे ज्यादा मोतियाबिंद के ऑपरेशन करता है लेकिन आज की तारीख में मायोपिया सबसे बड़ी समस्या बन गया है जो आंखों की रोशनी को तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है. ये बातें भारत में हेल्थकेयर सिस्टम पर चिंता जताते हुए किसी सामान्य व्यक्ति ने नहीं बल्कि देश के सर्वोच्च सम्मानों पद्मश्री और पद्म भूषण से नवाजे गए डॉक्टरों ने कही हैं.

भारत में हेल्थकेयर को और अधिक नैतिक, सुलभ और मरीज-केंद्रित बनाने के लिए दिल्ली में एकजुट हुए पद्म पुरस्कार प्राप्त डॉक्टरों ने बीमारियों के गहराते संकट के प्रति चेतावनी दी.’हेल्थकेयर जैसा होना चाहिए’ विषय पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ डॉक्टरों ने ग्रामीण-शहरी असमानता, रोकथाम आधारित देखभाल, दवाइयों की कीमत, अस्पतालों के खर्च और तकनीकी समाधानों पर जोर दिया.

इस दौरान सर गंगाराम अस्पताल के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज और चेयरमेन पद्मश्री डॉ. डी.एस. राणा ने कहा कि हमारा लक्ष्य सबके लिए स्वास्थ्य सेवा होनी चाहिए. इसमें प्रगति हुई है लेकिन असमानता अभी भी बनी हुई है. दवा और इलाज की कीमतों में पारदर्शिता और सख्त नियम जरूरी हैं.

भारत कैंसर की राजधानी
इंडियन जर्नल ऑफ डेंटल रिसर्च के एडिटोरियल हेड और पद्म भूषण डॉ. अनिल कोहली ने कहा कि भारत ओरल कैंसर की राजधानी बन गया है. तंबाकू, पान और खराब खानपान इसकी बड़ी वजह है. इलाज के लिए किफायती डेंटल इंश्योरेंस के अलावा इस बीमारी से बचाव के लिए जल्दी जांच और रोकथाम बेहद जरूरी है.

हर तीसरा व्यक्ति डायबिटिक

फोर्टिस C-DOC अस्पताल के चेयरमैन और प्रख्यात डायबिटीज विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ.अनुप मिश्रा ने चेतावनी दी कि दिल्ली में हर तीन में से एक व्यक्ति को डायबिटीज है. जबकि 30% लोग प्री-डायबिटिक हैं और ये कभी भी डायबिटिक मरीजों की सूची में शामिल हो सकते हैं. ये गर्व की बात नहीं है. जीवनशैली में बदलाव और जागरूकता ही असली हथियार हैं. दवाएं जैसे ओज़ेम्पिक आदि भी मददगार हो सकती हैं, लेकिन लोगों को समझने की जरूरत है कि इसका असली समाधान लाइफस्टाइल में बदलाव ही है.

मायोपिया बन गया चुनौती
सर गंगाराम अस्पताल के ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. ए.के. ग्रोवर ने कहा कि ये वाकई उपलब्धि है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद सर्जरी करता है लेकिन अब बढ़ती मायोपिया जैसी चुनौतियों को रोकथाम और पोषण से संभालना होगा. मायोपिया आज बच्चों से लेकर बड़ों तक में सबसे बड़ी परेशानी बन गया है.

हर्ट को बचाएगा गोल्डर ऑवर

मेदांता, गुड़गांव में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ और पद्मश्री डॉ. प्रवीन चंद्रा ने कहा कि दिल सभी बीमारियों का केंद्र है. गोल्डन ऑवर में मरीज को दी गई हेल्थकेयर और एंजियोप्लास्टी जान बचा सकती है. आज 80–90 साल के मरीजों तक को एडवांस्ड कार्डियक इलाज उपलब्ध है.

16 फीसदी लोगों को किडनी रोग
सर गंगाराम अस्पताल के नेफ्रोलॉजी चेयरमैन और किडनी रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. ए.के. भल्ला ने बताया कि क्रॉनिक किडनी डिज़ीज़ अब महामारी जैसी हो गई है. इस गंभीर रोग से 13–16% वयस्क प्रभावित हैं. डायबिटीज और ब्लड प्रेशर इसके बड़े कारण हैं. इससे बचाव के लिए शुरुआती जांच और सामुदायिक शिक्षा जरूरी है.

हेल्थकेयर विशेषाधिकार नहीं वादा होना चाहिए

इस दौरान वरिष्ठ फिजिशियन पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली ने कहा कि ट्रस्ट-आधारित, नॉन-प्रॉफिट मॉडल जैसे सर गंगाराम अस्पताल स्वास्थ्य सेवा की सही दिशा दिखा सकते हैं.

वहीं प्रेसिडेंट और को-फाउंडर, पैसिफिक वनहेल्थ डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा एक विशेषाधिकार नहीं, बल्कि वादा होना चाहिए. यह न सिर्फ नैतिकता पर आधारित बल्कि नवाचार से संचालित और मरीज-केंद्रित वादा होना चाहिए. भविष्य की राह रोकथाम, प्राथमिक और उच्च स्तरीय इलाज को जोड़ते हुए किसी को भी पीछे न छोड़ने की है.

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