Denvapost Exclusive:जिओं (Jio)का मोहपाश में बंधे हम

देश में इंटरनेट क्रांति के लिए जो अपनी पीठ थपथपा रहा है , इन्हीं के पापा कहा करते थे कर लो दुनिया मुठ्ठी में धीरूभाई अंबानी जब टेलीकॉम सेक्टर के लिए जोड़ी फोन ऑफर लेकर आए थे। लेकिन पिताजी के संदेश को बेटे ने अपने हाथ में ले लिया है और वह सही मायने में दुनिया को मुट्ठी में करने निकल चुके शुरुआत उसकी भारत के 140 करोड लोगों से हुई है। मैं यह क्यों कह रहा हूं क्योंकि हाल ही में जियो ने जिस तरह से प्रेडेटरी प्राइसिंग करके सबसे पहले लोगों तक रीच पहुंचाई लोगों तक सस्ते दामों में अपनी आदत लगाई और अब धीरे-धीरे उन लोगों को अपने तरीके से जैसे मदारी डमरू पर नचा रहा हो कुछ उसे तरीके से अपनी प्राइसिंग से लोगों को नचा रहा है । Jio के द्वारा हाल ही में टैरिफ हाई करके 12.50 परसेंट से 25% तक इजाफा किया गया है और इस इजाफा से जिओ को और टेलीकॉम सेक्टर को लगभग 50000 करोड रुपए एक ही बार में मुनाफे के रूप में प्राप्त हो जाएंगे।  साथियों की बहुत महत्वपूर्ण बात है कि अर्थशास्त्र में इस बात को मोनोपोलिस्टिक अप्रोच कहा जाता है। एकाधिकार प्रकार का व्यवहार कहा जाता है जिसमें कोई भी कंपनी पहले लोगों की आवश्यकता बनती है और फिर अपने कंपटीशन को खत्म करती है। कंपटीशन को खत्म करके अपने हिसाब से मार्केट को बनाती है उसका जीवंत उदाहरण आप में से अधिकांश  ने जिओ का उदय होते हुए देखा है।

ट्रैप में फंसते चले गए

जब शुरुआत में जियो आया तब क्या कह कर आया आज जियो (Jio)क्या कर रहा है और उससे आगे हमारी पूरी जिंदगी को हाथ में रखने के लिए उसने क्या तरीके अपनाए हैं। आज विस्तार से जानते हैं  क्योंकि हमारी याददाश्त थोड़ी कमजोर है हम जल्दी भूल जाते हैं कि कहां से क्या चीज शुरू हुई थी कहां तक पहुंच गई थी । इसलिए इसे शुरू से बताते है ताकि आपको यह याद दिलाया जा सके कि आप एक ट्रैप में कैसे फंसते चले गए हैं। कैसे जियो ने सारे कंपीटीटर्स (competitors) को पहले नुकसान पहुंचाया सरकारी बीएसएनल को बर्बाद ही कर दिया। उसके बाद में जब लोगों के पास विकल्प के रूप में कुछ नहीं बचा तो jio ने अपनी तरफ से लोगों को टैरिफ हाई करके उन्हें बर्बादी की तरफ ले जाने का रास्ता तय कर दिया है। इसमें कही न कही हमारी ही गलती है हमे फ्री की आदत जो है। अभी भी हम समझ रहे हैं पैसे का लाभ ही तो है सारी बातें समझिए और कल कोई आपके साथ क्या-क्या कर सकते हैं। यानी कि उनके पिताजी ने जो दुनिया के लिए संदेश दिया था कि कर लो दुनिया मुठ्ठी में उनके बेटे ने खुद ने अपने हाथ में करने का तरीका अपनाया। 140 करोड़ आबादी को सर्विस देने के नाम पर देश में केवल चार कंपनियां मौजूद है और उनमें से भी लगभग 45 करोड़ यूजर बेस लेकर के केवल एक कंपनी जिओ बैठी हुई है अपने आप में सोचने का विषय है कि देश में किस तरह से हमारे देश में मोनोपोलिस्टिक(monopolistic) तरीके से हम पर कंट्रोल किया जा रहा है आज jio आपको न केवल इंटरनेट दे रहा है फाइनेंशियल सर्विसेज दे रहा है बाजार की सुविधा दे रहा है आपकी हर एक जरूरत की पूर्ति करने के लिए सामने आ गया है इस बात को बहुत गंभीरता से समझने की आवश्यकता है आपको समझने की आवश्यकता है कि पहले आपको आदत डाली गई और आदत डालकर अब आप पर कब्जा करने की तैयारी चल रही है। बड़ी कंपनियां किस तरह से हमें कंट्रोल करती है इसका जीता जागता उदाहरण यह jio का बनाया हुआ जाल है। जिसे आप देख सकते हैं इस jio के जाल में  टीवी चैनल, जिओ सिनेमा, म्यूजिक, न्यूज़जिओ के नाम पर आप विचार करिए। इंटरनेट से होने वाली सर्विसेज को आप दिमाग में लेकर आइए और आपके दिमाग में जिओ की इमेज आ जाएगी। जिओ ने हाल ही में अपनी फाइनेंशियल सर्विस शुरूआत की है जिओ मार्ट शुरू किया है तो आज आपको यह पता चलेगा कि कैसे इंटरनेट को उपलब्ध कराकर दादागिरी करने वाले मुकेश अंबानी दादागिरी पर उतर आए हैं ।

Jio का उदय

मुकेश अंबानी की दादागिरी के उतरने की शुरुआत कितने भोलेपन से हुई थी कि देश के अंदर आज यह कंपनी 21.6 ट्रिलियन रू की बन चुकी है। Jio का उदय कैसे शुरू हुआ था। एक व्यापारी हुए नाम था धीरूभाई अंबानी धीरूभाई अंबानी के बारे में कहा जाता है कि वह गल्फ कंट्रीज में पेट्रोल वेंडर का कार्य किया करते थे। देश में आए कपड़े का व्यापार किया दो संताने हुई मुकेश और अनिल। धीरूभाई अंबानी ने अपनी पत्नि कोकिलाबेन के साथ मिलकर देश में बहुत सारे उद्योग धंधों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। धीरूभाई अंबानी वर्ष 2002 में जब नहीं रहे और 70 साल की उम्र में जब उनका निधन हो गया तो यह कारोबार जगत के लिए यह एक बड़ा झटका था। धीरूभाई अंबानी के जाने के बाद मुकेश अंबानी ने पेट्रोकेमिकल और रिफाइनरी का काम संभाला और अनिल को टेलीकॉम फाइनेंस और एनर्जी यूनिट में मिल गए कहा जाता है कि अनिल थोड़े व्यवहार में जिद्दी थे और उन्हें बिजनेस की समझ नहीं थी। उन्होंने उन धंधे में हाथ डाला जो की कॉम्पिटेटिव नहीं थे और इस प्रकार से वह लगातार नुकसान झेलते चले गए। सूत्रों की माने तो जिस रिलायंस को धीरूभाई अंबानी ने शुरू किया था। “कर लो दुनिया मुठ्ठी में ” वह असल में मुकेश अंबानी का आईडिया बताया जाता था और कहा जाता है कि मुकेश अंबानी जब इस प्रकार से अनिल अंबानी को रिलायंस दिया गया था। उससे काफी परेशान थे लेकिन दोनों भाइयों ने एक एग्रीमेंट किया था कि हम 10 साल तक दोनों एक दूसरे के फील्ड में कदम नहीं रखेंगे। एक बार अनिल अंबानी को आगे निकलने दो फिर मैं अपना दोबारा से एंट्री करुंगा।

2010 में मुकेश ने अपना दिमाग लगाना शुरू किया क्योंकि 2012 में इनका समय पूरा हो रहा था कि मुझे टेलीकॉम में उतरना है और इन्होंने धीरे-धीरे जिओ की बुनियाद बुनियाद 2010 के आसपास शुरू कर दी थी। कहा जाता हैं कि 2010 में रिलायंस इंडस्ट्रीज में 48 सौ करोड़ में इन्फोटेक ब्रॉडबैंड सर्विस लिमिटेड कंपनी की 95% हिस्सेदारी खरीदी। ब्रॉडबैंड सर्विस लिमिटेड यही देश की वह कंपनी थी जिसके पास उस समय 4G नेटवर्क का स्पेक्ट्रम था। इस नेटवर्क स्पेक्ट्रम को लेने वाली एक कंपनी अकॉर्डिंग टू एग्रीमेंट बिटवीन टू ब्रदर्स (According to agreement between two brothers)होने को तो फ्रंट फेस में जियो नहीं हो सकती थी। इसलिए किसी दूसरी कंपनी ने 4G स्पेक्ट्रम खरीदा था। लेकिन रिलायंस जिओ ने बाद में इसी का नाम बदलकर रिलायंस जिओ कर दिया। दिसंबर 2013 में 4G के लिए भारतीय एयरटेल से समझौता किया गया और कहा गया कि जो समुद्र से आने वाली इंटरनेट केबल है वह जियो रिलायंस एयरटेल का इस्तेमाल करेगा और साथ में वॉयरलैस पावर और इंटरनेट ब्रॉडबैंड सर्विस भी वह एयरटेल का इस्तेमाल करेगा। धीरे धीरे अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन पिछड़ती चली गई और रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ भी एक समझौता कर लिया गया की 4G स्पेक्ट्रम फैलाने हैं वह भी मदद करें इस प्रकार से रिलायंस जिओ ने अपनी 4G सर्विसेज के लिए एंट्री करना शुरू कर दिया। 27 दिसंबर 2015 को सबसे पहले रिलायंस ने अपने कर्मचारियों को जिओ की सर्विसेज उपलब्ध कराई 4g सर्विस अपने कर्मचारियों को 2015 में उपलब्ध कराई दिसंबर के अंदर और कहां की एक बार आप उसे करके देखिए। मुकेश अंबानी ने डिजिटल रिवोल्यूशन लाने के लिए वर्ष 2016 में भाषण दिया और कहां की हम दुनिया में वह सर्विस बनने जा रहे हैं जो डाटा का और कॉल का पैसा नहीं लेगी। यह बात सही है कि जिस समय पर रिलायंस ने यह काम किया उसे समय भारत के अंदर डाटा के चार्ज अलग होते थे कॉल के चार्ज अलग देने पड़ते थे। कॉल और डाटा अलग-अलग डाटा हुआ करता था लेकिन आज जो हम वास्तविकता में चर्चा कर रहे हैं कि ₹200 प्रति जीबी हुआ करता था। आप वह मिटाने के लिए आए थे कहीं ऐसा तो नहीं जिस तरह से आप प्राइस बढ़ते जा रहे हैं। आपकी भी असली मंशा वही हो कि मुझे इस समय तक इन्हें वापस लेकर जाना है। क्योंकि जिस तरह से अपने शुरुआत की थी तब यह कहा था कि वॉइस कॉल फ्री रहेगा डाटा के लिए पे करना होगा और वह भी बहुत नॉमिनल पे करना होगा।

डेटागिरी की शुरूआत
इसे गांधीजी के अंदर अगर गांधीगिरी कहा जाता था तो हम इस डाटागिरी कहेंगें इस तरह से आपने अपना प्रचार किया तो इस प्रकार से प्रॉपर तरीके से इन्होंने दुनिया के सामने एक तहलका सा मचा दिया कि इंडिया में एक ऐसा सर्विस प्रोवाइडर आ गया है। जिसमें तीन-चार महीने के लिए तो अनलिमिटेड इंटरनेट ही फ्री कर दिया है और प्रतिदिन के हिसाब से आप 4GB डाटा यूज करिए 3 महीने तक लोगों को पहले कंजप्शन हैबिट डलवाई गई। यानी कि एक ऐसा नशा जिसकी लोगों को आदत नहीं थी। जब ₹200 का 1GB डाटा मिल रहा था और लोग पूरे महीने चला लेते थे। आपने 4 जीबी प्रतिदिन देकर के 3 महीने तक फ्री देने की आदत डालवाई फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग कार्रवाई 100 मैसेज के अंदर रोजाना देने की सुविधा दी । लोगों को लगा कि भाई साहब यह तो दुनिया में एकदम तहलका है अब बड़ी इंटरेस्टिंग बात यह था कि अगर 4 जीबी डाटा आप किसी को देने लगोगे तो वह प्रतिदिन उसे डाटा का क्या करेगा इस डाटा के लिए इन्होंने 6000 से ज्यादा मूवी फ्री में उपलब्ध कराई एक करोड़ से ज्यादा गाने उपलब्ध कराए। की अगर आपको डाटा मिल गया तो कंज्यूम कहां करोगे डाटा मिल गया। लेकिन 2016 में वास्तविकता में सस्ते इंटरनेट के कारण इंटरनेट क्रांति ने जन्म लिया आज जो इंटरनेट बेस में सर्विसेज है। फिर चाहे वह उबर और जोमैटो हो फिर चाहे यूट्यूब पर चलने वाला कंटेंट के बहुत आसानी से उपलब्ध होने से बहुत तेजी से फैलना शुरू हुआ।

कांपिटिव मार्केट खड़ा किया
इन्होंने बहुत ही सुगम तरीके से लोगों को अपने साथ एंट्री करने का तरीका बनाया अनलिमिटेड फ्री कॉल अनलिमिटेड एचडी वीडियो ना जाने क्या-क्या सुविधा देकर अपने साथ में दे दिया शुरुआती तौर पर इन्होंने इंटरनेट का सदुपयोग करने के लिए इतने सारे एप्लीकेशन अपने लेवल पर भी उपलब्ध करवाई इसमें म्यूजिक था जिसमें गाने थे जिसमें चैटिंग थी जिसमें मूवीज ,सिनेमा,, जिओ टीवी, जियोसावन, जिओ न्यूज़, जिओ सिक्योरिटी जो आप इंटरनेट की चीज याद कर सकते हैं वह लगभग इनके पास फिलहाल उपलब्ध है जिस समय यह आए थे जब इंटरनेट इतना महंगा था इन्होंने इंटरनेट के दामों को एकदम धड़ाम से नीचे गिरा दिया इंटरनेट के दाम को नीचे गिरने से मार्केट में यानी इंटरनेट प्रोवाइडर जो कंपनियां थी एयरटेल, वोडाफोन जैसी जो कंपनी थी उनको नुकसान हुआ। जिओ का शुरुआत जबरदस्त हुआ दिसंबर 2016 तक फ्री ऑफर दिया गया उसे फ्री ऑफर 2017 तक हैप्पी न्यू ईयर ऑफर करके दे दिया। जिसमें अनलिमिटेड डाटा डाल रहे थे फ्री की आदत डाल रहे थे धीरे-धीरे लोग इसे जुड़ते चले गए की दिसंबर तक ही उनके पास 52 मिलियन सब्सक्राइबर जिओ एप पर हो गए थे। यानी एक तरह से इन्होंने जिओ यूजर्स की संख्या में हैप्पी न्यू ईयर हंड्रेड मिलियन सब्सक्राइबर क्रॉस कर दिया। हालांकि इनकी शिकायत करने के लिए बड़ी सारी कंपनियां कंपटीशन ऑफ इंडिया भी गई लेकिन वहां पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी और फाइनली ऑफर चलता रहा कंपनियों को भी इनके तरह नीचे उतरकर सस्ते ऑफर देने पड़े। फिर जब मार्च का ऑफर खत्म हुआ तो अगले 12 महीने के लिए अब प्राइम मेंबरशिप ले आए। प्राइम मेंबरशिप ज्वाइन करो ₹99 में सारी फैसेलिटीज मिलती रहेगी और अगर इंटरनेट यूज करना है तो उसके लिए फिर एक फीस तय कर दी गई।

इंटरनेट एडिक्ट बनाया

धीरे-धीरे इन्होंने लोगों को पहले सस्ते की आदत डाली आदत डाल करके इन्होंने प्रॉपर तरीके से इंटरनेट का यूज करते हुए। उसका कंजप्शन की हैबिट डेवलप करी कंजप्शन हैबिट के साथ में अब उनकी इसी आदत का जैसे एक ड्रग एडिक्ट को पहले ड्रग का हल्का सा डोज दिया जाता है फिर उसके बाद में उसकी उसकी आदत का ही दुरुपयोग करने के लिए कहा जाता है। कि अब तेरी आदत पड़ गई पहले फ्री में खिलाया अब खरीदने पर मजबूर किया। ऐसा इन्होंने इंटरनेट के साथ किया साल भर के लिए जो चीज मुफ्त में थी तब धीरे-धीरे इनके दाम वसूलने शुरू किया। जिओ प्राइम मेंबरशिप ₹99 के हिसाब से कर दी और अनलिमिटेड जो डाटा है वह 303 के हिसाब से कर दिया नए-नए इन्होंने ऑफर्स में कहा कि अगर आप जियो मनी उसे करते हैं। तो ₹50 तक का कैशबैक नहीं मिलेगा आपको जानकर आश्चर्य होगा जियो ने 2017 के अंदर 31 करोड रुपए का लॉस बुक किया जो कि लोगों को देखकर लगा कि यार यह तो बहुत जबरदस्त लॉस कर लिया है। लेकिन इन्होंने एक ही झटके में जिओ यूजर्स के द्वारा 99 रूपीस का जैसे ही सब्सक्रिप्शन लिया 247 करोड रुपए रेज कर लिया। कि एक बार लोगों को सब्सक्राइबर बना दो ₹99 का भेजो मार्केट की प्रेडेटरी प्राइसिंग कहते हैं दूसरों को खा जाने वाली प्राइसिंग कहते हैं। इन्होंने इतना सस्ता कर दिया था कि दूसरी कंपनी ऑलमोस्ट बर्बादी के कगार पर पहुंच गई। जो लोग फोन खरदने के इच्छुक नही थे उसे ₹1500 का फोन दिया और कहा कि 3 साल तक उसे इस्तमाल करो फिर जाकर वापस पैसे ले जाना फ्री इंटरनेट मिलता रहेगा। ऐसा करके उन्होंने 5 करोड़ फोन बेच डालें 1500 करोड़ में और फोन 2 ₹3000 में उतारा और 5 करोड़ से ज्यादा फोन इन्होंने मात्र 2 साल के अंदर अंदर बेंच दिए।

हम जब आए तो हमने देखा ₹200 का डाटा ₹5 में उपलब्ध करा दिया। जिओं से पहले बीएसएनएल एयरसेल भारतीय एयरटेल और 5 अन्य कंपनियां डाटा प्रोवाइड हुआ करती थी लगभग 10 मोबाइल करियर थे 2016 में उन 10 मोबाइल करियर को इन्होंने पूरी तरह खत्म कर दिया। आज मार्केट के अंदर चार मोबाइल करियर बच्चे हैं। एक तो जबरदस्ती सरकार की बैसाखी के सहारे चल रहा है ले देकर के बाकी जो दो बचे हैं एयरटेल और वोडाफोन इसमें से एयरटेल ही है जो कि उनके साथ कंपटीशन में है और फिलहाल के लिए एयरटेल भी अब इनकी गतिविधियां सीख गया है। क्योंकि वह भी इनकी तरह पहले सस्ते प्राइस करता है और जब यह प्राइस बढ़ाते हैं तो वह भी बढ़ा देता है और इस तरह का मार्केट जिसको पहले तोड़ा गया प्रेडेटरी प्राइसिंग से सबको आदत डाली गई। अपने ऊपर निर्भर कर दिया गया यही प्रक्रिया मोनोपोलिस्टिक मार्केट कहलाती है। फिलहाल के लिए जियो मोनोपोली की तरफ बढ़ रहा है। यह जैसा कर रहा है बाकी कंंपनी वैसा ही कर रही है। चाहे फिर एयरटेल हो या वोडाफोन।

मुकेश अंबानी की नेटवर्क में इस इंटरनेट क्रांति के बाद जबरदस्त इजाफा हुआ लगातार इनका फाइनेंशियल ईयर गो करता चला गया लगातार सब्सक्राइबर बढ़ते चले गए। कहा जाता है कि वर्तमान में जहां इंडिया में लगभग 82 करोड़ इंटरनेट यूजर है उनमें से 45 करोड़ अकेले जियो के पास है यानी 45.9846 करोड़ डाटा यूजर्स इस समय जिओ के पास है जिसकी वजह से इंडिया दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर बन गया है। इनके द्वारा इंटरनेट सस्ते में उपलब्ध कराकर जो क्रांति लाई गई उसे क्रांति को फिर इन्होंने झंडे दिखाने शुरू किया। 2021 मे जब प्राइस बढ़ाए थे तब लोगों को बहुत जबरदस्त तरीके से रिएक्शन देने का मौका मिला था। 2021 के बाद आज अचानक इन्होने 25 फीसदी प्राइस बढ़ा दिया न केवल इन्होने बल्कि वोडाफोन औेर एयरटेल ने भी अपने टेरिफ प्लान में बदलाव किया है। हम तीनो कंपनियों के हाथ की कठपुतली बन गए हैं।

फिर तो बीएसएनल ही अच्छा

हो सकता है सरकार को संसाधनों के नाम पर प्राइवेट कंपनियों से पैसा लगवाना था ताकि देश में आसानी से संचार की क्रांति लाई जा सके लेकिन यही कारण है कि सरकारी इंटरफ्रेंस बहुत ज्यादा जरूरी होती है सरकार के द्वारा कंपनियों को बेचने का जो विचार होता है वह इसीलिए त्यागना चाहिए क्योंकि कंपनियां जब सरकार से निकल जाती है। इस तरह से दुनिया को अपने इशारे पर नचाती है सरकार जो बार-बार कंपनियों को बेचने के लिए डिसइनवेस्टमेंट कर दो। कंपनियों को बेच दो यह सोचने की आवश्यकता है कि सरकारी कंपनियां मार्केट में होना जरूरी है मानाकि सारी कंपनियां सरकार नहीं चला सकती लेकिन अपना एक रोल मॉडल सरकार वहां पर हमेशा खड़ा रखें कि बेटा तुम्हें कंपटीशन हमेशा इससे देना होगा आज कहां जा सकता है कि बीएसएनएल में जहां बीएसएनएल के कर्मचारियों के द्वारा कार्य करने में जो न इच्छा थी उसका नुकसान बीएसएनल को भुगतना पड़ा यह तो आधा सत्य है ही आधा सत्य यह भी कहा जा सकता है कि अगर सरकार अपनी तरफ से बीएसएनल को जिओ के बराबर टक्कर देने के लिए मार्केट में खड़ा रखती। तो आज मार्केट में एक ऐसा प्लेयर होता जो इस प्राइस हाई को रोकने के लिए पूरी तरह प्रयास करता यही कारण है कि लोग अब बीएसएनएल के पोस्टर लगा रहे हैं कि भाई फिर तो बीएसएनल ही अच्छा है। जो इतने रुपए में दे रहा है अब लेकिन लोगों को अच्छे की आदत पड़ गई है 4G नेट के नेटवर्क की आदत पड़ गई है। सरकारी बैसाखी के सहारे चल रहा है बीएसएनएल आज भी भाई साहब नहीं लगेगा की लड़ाई लड़ रहा है। विचार करने की आवश्यकता है कि दुनिया पर जिस प्रकार से इन प्राइवेट कंपनियों ने हमें लगता है कि सरकार एनडीए की है कि सरकार यूपीए की है कि सरकार इंडिया की सरकार असल मायने में इन कंपनियों की है। दुनिया भर में इस तरह की कंपनियों ने अपनी तरफ से बवाल मचा के रखा हुआ है।

परफेक्ट कंपटीशन इज द बेस्ट

मैं आपको बता दू कि मार्केट में परफेक्ट कंपटीशन इज द बेस्ट जब आप सब्जी मंडी के अंदर देख कर आते हैं कि साहब हम गए और बढ़िया से सस्ते दामों पर माल खरीद कर ले आए लेकिन मोनोपोलिस्टिक जो कंपटीशन है इसमें आपको जो हो सामने वाला बोलेगा वह देना पड़ेगा और हमारे देश में यह बहुत बड़ी बदकिस्मती है 140 करोड़ की आबादी वाले देश में देश के सभी संसाधनों पर कुछ ही बिजनेसमैन का कब्जा है जिनमें से अंबानी एक है और अंबानी के पास में इस तरह से जियो का जो कंट्रोल है वह न केवल और यह व्यवस्था होनी चाहिए कि जो एक सर्विस उपलब्ध करा रहा है वह दूसरी सर्विस में एंट्री ना करें क्योंकि इसके पास में एक बार जनता का डाटा आ गया इसके पास में इंटरनेट की हैबिट आ गई अब यह लोगों को अलग-अलग तरह की सुविधा देने की बात करें जिओ व्हाट्सएप से समझौता कर लिया है व्हाट्सएप के थ्रू अपने पास में पैसा लगा दिया है मार्क जुकरबर्ग से पैसा ले लिया है फिर यह आने वाले समयमें मिलकर के लोगों के घर पर सब्जी बेचने का काम शुरू करेगा यानी पूरे देश को क्या असल में जिओ ही चलाएगा क्या असल में पूरे देश को अंबानी ही चलाएगा यह असल महीने में एक मोनोपोलिस्टिक मार्केट का सबसे भीषण उदाहरण देश में बनने जा रहा है। आने वाले समय में यह चीज बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकती है क्योंकि केवल इतना सब प्राइस बड़ा करके 47,500 करोड रुपए इन्होंने 1 मिनट में बाहर निकाल लिए यानी इंटरनेट के माध्यम से दम बड़ा करके यह सब कर लिया है तो क्या हो गया बिल्कुल सही कह रहे हैं अब आपकी आदतें क्योंकि आपने इंटरनेट पर जाकर मूवी देखी तो उसने मूवी को देने वाला जो था डिज्नी उसको खरीद लिया है। क्रिकेट देखते समय 5 करोड लोग लाइव क्रिकेट देख रहे थे सब हॉटस्टार पर आज उसको इसने परचेस कर लिया है यानि पहले इंटरनेट दिया इंटरनेट का उपयोग करने के लिए आपको फिल्में दिखाई फिल्मों के लिए आपको डिज्नी की आदत हॉटस्टार की आदत लगे वहीं पर अब आपके लिए इंटरनेट को उपलब्ध कराकर इसने उस कंपनी को परचेस कर लिया। अब इनका कब्जा होता चला जा रहा है टीवी पर लगभग हर सेक्टर में जहां पर आप लोग मूवी देखने के लिए अमेजॉन या फिर नेटफ्लिक्स यूज करते हैं। इसी तरह से इन्होंने न्यूज़ चैनल सीएनबीसी मनी कंट्रोल अपने न्यूज़ चैनल बना लिए जैसे आप लोग व्हाट्सएप वगैरा अपना खरीद लिया है। इसी प्रकार जिओ जीएसटी जिओ फाइबर जिओ क्लाउड यह सब करके इन्होंने पूरी तरह से एजुकेशन सेक्टर हेल्थ सेक्टर हो सब तरफ से इन्होंने अपना ही मार्केट बना दिया और आने वाले समय में तो यह जो बिग बॉस्केट अमेजॉन फ्लिपकार्ट को टक्कर देने जिओं मार्केट खड़ा कर लिया। इनका कंसोलिडेटेड रेवेन्यू है वह 23.6 परसेंट बड़ा 2022—23 में 9,74,864 करोड रुपए का रेवेन्यू इंक्रीज किया है। कि हमको तो जिओ की जरूरत है और जिओ की जरूरत है तो ऐ जेसा चाहेंगे वैसा करेगें। आप देखिए कि अभी अपनी जिओ फाइनेंशियल सर्विसेज लेकर आ रहे हैं जियो फाइनेंशियल सर्विस आते ही देश की टॉप फाइव में पहुंच जाती है। क्योंकि उनके पास डाटा है आपका भी हमारा भी आपके मोबाइल में ऑटोमेटिक फ्लैश कर जाएगा कि जिओ आ गया है आप उसके थ्रू इंटरनेट का यूज कर रहे हैं। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर 350 रुपए चल रहे हैं कि अंबानी के द्वारा जो मुकेश अंबानी के द्वारा काम किया जा रहा है इस काम काम में जहां देश के साथ पहले देश को साथ लेकर चलने की बात थी। आपने यह सुविधाओं का उपयोग करके लोगों के साथ 25% टैरिफ हाई करना कैसे जस्टिफाई किया जा सकता है।

आपका शांत रहना ही आपके लिए खतरा

सरकार को आवश्यकता है इस प्रकार की मोनोपोलिस्टिक एप्रोच रखने वाली कंपनियों के साथ सख्ती से पेश आए उनसे सवाल करें सरकारी जांच हो और यह तय किया जाए कि देश के अंदर सारे संसाधन किसी एक व्यक्ति के हाथ में ना चले जाए। यह प्लान इनका सबसे बेसिक प्लान है कि आपको चीज सस्ते में मिलेंगे लेकिन सस्ते की आदत लगाकर सस्ते की आदत आप प्रेडेटरी प्राइसिंग के माध्यम से इसलिए लगा पाते हैं क्योंकि आपके पास भर भर के पैसा है।आप अपना पैसा लगाकर सब कुछ फ्री कर दो तो दुनिया वैसे ही बर्बाद हो जाएगी और कंपनियां सरवाइव नहीं कर पाएंगी।आप फिर जब अपने पास सबको का लेंगे तो आप ऐसे ही करेंगे 2021 में अपने रेट बढ़ाई अब 2024 में अपडेट कर 25 परसेंट रेट सीधा बढ़ा ले गए। देश के अंदर जनता को भी अवेयर होने की आवश्यकता है कि आप किसी के हाथ कठपुतली ना बने जागरूक रहे इस तरह की चीजों पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे।इस बात को केवल उपभोक्ता के रूप में ना सुनते रहे की हमारे साथ ही नही सबके साथ ही तो हुआ हैंं। आपका यही शांत रहना ही आपके लिए बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है फिलहाल के लिए आप समझ लीजिए कि देश को किसी और आप अपनी तरफ से जियो के हाथ में जाता हुआ देख रहे हैं क्या आने वाले समय में यह प्लान कर रहे हैं अपने हिसाब से प्लान करें।

(यह ख़बर इंटरनेट एवं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रकाशित हैं)

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