सीधी । एक प्रशासनिक आदेश ने शिक्षा और चुनाव दोनों व्यवस्थाओं में नई बहस छेड़ दी है। सीधी जिले के निर्वाचन अधिकारी द्वारा शिक्षकों को BLO (Booth Level Officer) की जिम्मेदारी से मुक्त करने और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को यह दायित्व सौंपने का निर्णय सामने आते ही इसे “बच्चों के हित में उठाया गया ऐतिहासिक कदम” कहा जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह वास्तव में एक शिक्षा सुधार है या केवल चुनावी व्यवस्था में प्रयोग?
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शिक्षक और BLO की दोहरी जिम्मेदारी
अब तक BLO की भूमिका में शिक्षक बड़ी संख्या में नियुक्त किए जाते थे। निर्वाचन आयोग के मतदाता सूची सत्यापन, नामांकन सुधार, और फील्ड सर्वे जैसे कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती थी।
परिणाम यह हुआ कि कई बार शिक्षण सत्रों के दौरान शिक्षक विद्यालयों से अनुपस्थित रहते थे। बच्चों की पढ़ाई बाधित होती थी, और स्कूलों में नियमित कक्षाएँ नहीं चल पाती थीं।
शिक्षकों के संगठनों ने वर्षों से मांग की थी कि उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए।
सीधी जिले के निर्वाचन अधिकारी का यह निर्णय उसी मांग की पूर्ति के रूप में देखा जा रहा है।
फैसले का मूल तर्क: “बच्चों की शिक्षा पहले”
निर्वाचन अधिकारी ने निर्णय का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि शिक्षकों की मुख्य भूमिका शिक्षण कार्य है। जब उन्हें प्रशासनिक कार्यों में लगाया जाता है, तो शिक्षा पर सीधा असर पड़ता है।
यह निर्णय इस विचार पर आधारित है कि बच्चों की शिक्षा से बड़ा कोई प्रशासनिक कार्य नहीं हो सकता।
सीधी जिले में यह निर्णय आने के बाद शिक्षा विभाग में राहत का माहौल है। विद्यालयों में अब शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी और शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित हो सकेगा।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया: “यह शिक्षा के सम्मान का निर्णय”
जिले के शिक्षकों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि यह फैसला “शिक्षा के सम्मान और शिक्षक की गरिमा बहाल करने” की दिशा में बड़ा कदम है।
एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा —
“जब हमें हर बार BLO या जनगणना जैसी ड्यूटी दी जाती थी, तो हमारी कक्षाएँ प्रभावित होती थीं। बच्चे पिछड़ जाते थे और परीक्षा परिणाम पर असर पड़ता था। अब यह आदेश हमारी पेशेवर पहचान को सम्मान देता है।”
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारी: अवसर और चुनौती
अब बूथ लेवल ऑफिसर के रूप में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया जा रहा है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पहले से ही अपने क्षेत्र की हर परिवार तक पहुंच रखती हैं। मातृ-शिशु योजना, पोषण अभियान, और स्वास्थ्य सर्वे में उनकी सक्रिय भूमिका रहती है।
ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि BLO के रूप में उनका योगदान प्रभावी रहेगा।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि BLO का कार्य अत्यधिक तकनीकी और दस्तावेज़ी होता है। मतदाता सूची अद्यतन, एप्लिकेशन एंट्री और ऑनलाइन डेटा अपलोड जैसे कार्यों के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
यदि प्रशिक्षण मजबूत रहा, तो यह प्रयोग सफल हो सकता है।
प्रशासनिक दृष्टिकोण से निर्णय का महत्व
प्रशासनिक रूप से यह कदम संतुलन साधने का प्रयास है।
चुनाव कार्य और शिक्षा दोनों संवेदनशील विभाग हैं। शिक्षकों को BLO ड्यूटी से मुक्त करने से शिक्षा का भार घटेगा, लेकिन प्रशासन को BLO के लिए नए संसाधनों की तलाश करनी होगी।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को शामिल करने से ग्रामीण और महिला भागीदारी भी बढ़ेगी, जो लोकतंत्र की बुनियादी भावना को मजबूत करेगी।
संभावित प्रभाव:
1. शिक्षण गुणवत्ता में सुधार — शिक्षक अब पूरा समय शिक्षण में दे पाएंगे।
2. शिक्षा में निरंतरता — चुनाव या सर्वे के दौरान स्कूलों का शिक्षण प्रभावित नहीं होगा।
3. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका बढ़ेगी — उन्हें प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिलेगा।
4. महिला सशक्तिकरण को बल — अधिकांश आंगनवाड़ी कार्यकर्ता महिलाएँ हैं, जो स्थानीय स्तर पर निर्णय प्रक्रिया में भाग लेंगी।
5. प्रशासनिक बोझ में पुनर्गठन — BLO कार्य में अनुभवहीन कर्मियों की नियुक्ति से प्रारंभिक चुनौतियाँ संभव हैं।
राजनीतिक और नीतिगत संकेत
यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि शिक्षा नीति के धरातल पर एक प्रयोग है।
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारें “शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने” की दिशा में काम कर रही हैं।
सीधी जिले का यह कदम उसी नीति की स्थानीय रूपरेखा है, जो आगे चलकर राज्य स्तरीय मॉडल बन सकता है।
राजनीतिक रूप से भी यह निर्णय चुनावी वर्ष में एक सकारात्मक संदेश देता है कि प्रशासन बच्चों की पढ़ाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।
चुनौतियाँ अभी बाकी हैं
हालांकि इस निर्णय के बाद राहत महसूस की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियाँ हैं —
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को BLO प्रक्रिया की तकनीकी जानकारी सीमित है।
कई ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट या डिजिटल डेटा एंट्री की सुविधा नहीं है।
मतदाता सूची सत्यापन में अनुभव की कमी से त्रुटियाँ संभव हैं।
इन समस्याओं से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है।
बच्चों के हित में नीति की दिशा
यह निर्णय दर्शाता है कि अब प्रशासन बच्चों की शिक्षा को केंद्र में रखकर योजनाएँ बना रहा है।
यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो यह मॉडल पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है।
बच्चों के हित में शिक्षक की पूर्ण उपस्थिति और शिक्षण की निरंतरता सुनिश्चित करना ही इस निर्णय का मूल उद्देश्य है।
निष्कर्ष
सीधी जिले में शिक्षकों को BLO ड्यूटी से मुक्त करने का निर्णय केवल एक आदेश नहीं, बल्कि शिक्षा के भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम है।
यह प्रशासनिक सुधार, सामाजिक संवेदनशीलता और नीति-नवाचार — तीनों का संगम है।
अब यह देखना होगा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नई भूमिका किस हद तक प्रभावी साबित होती है और यह मॉडल अन्य जिलों में किस रूप में अपनाया जाता है।
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