पुण्यतिथि को सेवा में बदला, चिचली कलां के बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बनकर उतरी स्मृति

नर्मदापुरम। स्मृतियाँ जब सेवा का रूप ले लें, तब वे केवल याद नहीं रहतीं, समाज के लिए उदाहरण बन जाती हैं। ऐसा ही दृश्य आज शासकीय प्राथमिक शाला चिचली कलां में देखने को मिला, जहाँ सेवानिवृत्त सहायक शिक्षिका श्रीमती नंदिता परसाई ने अपने पूज्य बड़े पापा स्वर्गीय ब्रजमोहन परसाई की 11वीं पुण्यतिथि को भावनात्मक श्रद्धांजलि देते हुए शाला में अध्ययनरत समस्त बच्चों को जूते एवं मोजे वितरित किए।
ग्रामीण अंचल के बच्चों के लिए यह केवल सामग्री वितरण नहीं था, बल्कि सम्मान और अपनत्व का अहसास था। कार्यक्रम में किसी मंचीय औपचारिकता के बजाय संवेदना और सादगी दिखाई दी। बच्चों की आँखों में चमक और मुस्कान ने आयोजन को स्वतः ही विशेष बना दिया।
सेवा, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी
श्रीमती नंदिता परसाई ने अपने जीवन को शिक्षा और सामाजिक सरोकारों से जोड़े रखा है। उल्लेखनीय है कि अपने सेवाकाल के दौरान वे शासकीय माध्यमिक शाला रानीपुर, जिला बैतूल में कार्यरत रहीं, जहाँ उन्होंने अपनी संस्था के माध्यम से विद्यालय को डेस्क एवं बेंच दान कर शैक्षणिक संसाधनों को मजबूत किया था।
सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका यह विश्वास अडिग है कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि बच्चों की गरिमा, सुविधा और आत्मविश्वास से जुड़ा विषय है।
समाज के लिए संदेश
विद्यालय प्रबंधन और ग्रामीणजनों ने इस पहल को केवल दान नहीं, बल्कि संवेदनशील सामाजिक चेतना का उदाहरण बताया। उनका कहना है कि जब शिक्षिका अपने जीवन की स्मृतियों को बच्चों के भविष्य से जोड़ती हैं, तो वह समाज को नई दिशा देने का कार्य करती हैं।

श्रीमती नंदिता परसाई का यह प्रयास बताता है कि पुण्यतिथियाँ शोक का नहीं, सेवा और संकल्प का अवसर भी बन सकती हैं। चिचली कलां के नन्हे बच्चों के कदमों में आज जो नए जूते आए, वे केवल वस्तु नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य की ओर बढ़ता एक भरोसा हैं।

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