मतदान के दिन घरों से कम बाहर निकले लोग। (फाइल फोटो)
दमोह लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ है। इसी बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा विधानसभा क्षेत्र में कम मतदान होने पर विधायकों को मंत्री पद से हटाए जाने को लेकर दिए गए बयान के बाद दमोह जिले के दोनों मंत्री लखन पटेल और धर्मेंद्र सिंह की नींद उड़ गई है। दोनों मंत्रियों के क्षेत्र में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत में काफी अंतर है। केंद्रीय मंत्री शाह द्वारा कहा गया है कि जिन मंत्रियों के क्षेत्र में मतदान कम होगा उन्हें मंत्री पद से हटाया जाएगा।
दमोह लोकसभा में 56.48 प्रतिशत मतदान
मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए इस बार विशेष जोर दिया। इसके बावजूद भी जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान में 17.46 फीसदी कमी आई है। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में जनता ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। जिसकी बदौलत जिले में कुल 73.94 प्रतिशत मतदान हुआ था। जो वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के मतदान से 2.51 फीसदी ज्यादा था। लोकसभा चुनाव में भी संभावना जताई जा रही थी कि इस बार मतदाता सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे, लेकिन परिणाम इसके उलट रहे। पांच माह बाद ही इन क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत 56.48 प्रतिशत पर आ गया जो कि 2019 लोकसभा चुनाव से 10 प्रतिशत कम है।
पथरिया विधानसभा में घटा मतदान
पथरिया विधायक और प्रदेश के पशुपालन राज्यमंत्री लखन पटेल के विधानसभा क्षेत्र पथरिया से इस इस बार मतदान में 15.47% कमी आई है। विधानसभा चुनाव में यहां 73.29 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन लोकसभा चुनाव में मतदान घटकर 57.82 फीसदी रह गया। राज्यमंत्री लखन पटेल ने इसके पीछे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस बार कांग्रेस बिल्कुल निष्क्रिय रही। क्षेत्र में कांग्रेस ने कोई प्रचार भी नहीं किया। उन्होंने 90 फीसदी क्षेत्र में भ्रमण किया था और लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित किया था। शादियां और गर्मी की वजह से भी लोग कम संख्या में मतदान करने पहुंचे।
जबेरा में भी मतदान कम
जबेरा विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 78.95 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो लोकसभा में 58.53 फीसदी रहा। इस तरह जबेरा से मतदान में सबसे ज्यादा 20.42 प्रतिशत की कमी आई है। जबेरा विधायक व संस्कृति राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने मतदान कम होने के अलग-अलग कारण गिनाए। उन्होंने बताया कि इस बार मतदान के बीच शादियों के मुहूर्त थे। ग्रामीण क्षेत्र से अनेक लोग बाहर गए हैं। दूसरी ओर कांग्रेसियों द्वारा मतदान में रुचि नहीं दिखाई गई। यही वजह है कि मतदान करने के लिए कम लोग ही पहुंचे। लोधी ने बताया कि पांच महीने के दौरान वे अपने क्षेत्र के 80 फीसदी एरिया में पहुंचे थे। लोगों को मतदान के प्रति जागरूक भी किया था।
दमोह में 16.2 फीसदी मतदान कम
दमोह विधायक व पूर्व मंत्री जयंत मलैया के विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार मतदान में 16.2 प्रतिशत की कमी आई है। नवंबर में हुए विस चुनाव में यहां 74.22 प्रतिशत मतदान हुआ जो लोकसभा में 58.02 प्रतिशत रहा। विधायक जयंत मलैया कम मतदान का कारण बताते हुए कहा कि चुनाव के दौरान शादियां बहुत थीं। भीषण गर्मी थी जिससे लोगों में उत्साह की कमी देखी गई। दूसरी और कांग्रेस ने भी वोटरों को मतदान के लिए प्रेरित नहीं किया। इसलिए मतदान प्रतिशित घट गया है।
हटा में सबसे अधिक, फिर भी कम
हटा विधानसभा में मतदान की स्थिति जिले की अन्य तीनों विधानसभाओं में सबसे अच्छी रही, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा मतदान में 14.23 प्रतिशत की कमी आई है। विधानसभा चुनाव में यहां 73.71 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जो लोकसभा में 59.48 फीसदी हुई। विधायक उमादेवी खटीक ने भी मतदान कम होने के कारण वहीं कारण गिनाए जो अन्य विधायकों ने बताए। उन्होंने कहा कि मैंने 80 फीसदी से अधिक क्षेत्र में जाकर लोगों को शासकीय योजनाओं के बारे में बताया था और उन्हें मतदान करने के लिए जागरूक भी किया था। जिसके चलते अन्य विधानसभाओं की अपेक्षा यहां सबसे अधिक मतदान हुआ।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह की दो टूक
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद दमोह के दोनों मंत्री धर्मेंद्र सिंह और लखन पटेल जरूर चिंतित होंगे क्योंकि इनके क्षेत्र में मतदान कम हुआ है। वहीं, पूर्व मंत्रियों को जो कुछ अपेक्षाएं नजर आ रही थी, उन पर कम मतदान के कारण पानी फिर गया है। यदि समूचे संसदीय क्षेत्र पर नजर डाली जाए तो कुछ हद तक हटा विधानसभा क्षेत्र अन्य विधानसभा क्षेत्र की तुलना में अच्छी स्थिति में नजर आ रहा है।