Damoh News: शिक्षक माधव पटेल राष्ट्रपति पुरुष्कार के लिए चयनित, दीवार लेखन कराया और बनाई टोलियां

Damoh news Teacher Madhav Patel selected for President's Award, got wall writing done

शिक्षक माधव पटेल

दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लाक के शासकीय लिधौरा मिडिल स्कूल के शिक्षक माधव पटेल पांच सितंबर को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने जा रहे हैं। जिसे दमोह सहित पूरे शिक्षा विभाग में खुशी की लहर है। 2017 के बाद दमोह जिले के किसी शिक्षक को यह सम्मान मिल रहा है। 40 वर्षीय शिक्षक माधव पटेल ने तीन सूत्र बनाए जिससे उनके विद्यायलय के बच्चे शत प्रतिशत स्कूल आने लगे।

उन्होंने बताया स्कूल में दर्ज बच्चों की संख्या 81 है और उपस्थिति 78 से 80 के बीच रहती है। अगर, इनमें भी यदि एक बच्चा स्कूल नहीं आता है तो दूसरा छात्र उसे लेने जाता, दूसरा नहीं आता तो तीसरा जाता और जब तीसरा छात्र नहीं आता तो चौथा छात्र पहुंच जाता। इससे उपस्थिती तो शत प्रतिशत होती ही है, छात्र के न आने का कारण भी टोली बता देती है। इतना ही नहीं अगर स्कूल के बाहर बच्चों को पढ़ने में कठिनाई जाए तो मोहल्ले में लर्निंग बोर्ड और घरों की दीवारों पर लिखे गणित के सूत्र उन्हें पढ़ने के लिए नजर आ जाते हैं। इन तीन सूत्र का प्रयोग करके बच्चों को शत प्रतिशत उपस्थिति देकर उन्हें स्कूल तक लाने का सफल प्रयोग किया है। पटेल को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर 2024 का राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिया जाएगा। दिल्ली में शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा मेडल, 50 हजार रुपये की राशि और प्रशस्ति-पत्र द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

स्कूल में बच्चों की उपस्थिति के लिए प्रयास किया

शिक्षक माधव पटेल ने स्कूल में बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थिति के लिए हर सप्ताह बच्चों को सम्मानित करने का निर्णय लिया। जिससे बच्चों की उपस्थिति बढ़ी। साथ ही पढ़ाई के तरीके में नया प्रयोग करते हुए 4 बच्चों की आपस में जोड़ियां बनाकर पढ़ाया। शिक्षा का स्तर सुधरने से निजी स्कूल के बच्चे भी उनके स्कूल में प्रवेश लिया। शिक्षक ने बताया कि उनके स्कूल में कक्षा छठवीं में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी ने कक्षा 8वीं तक नाम नहीं कटवाया और शत प्रतिशत बच्चे परीक्षा में उपस्थित हुए। गांव में 13 ब्लैक बोर्ड बनवाए और 18 दीवारों पर सूत्र लेखन कराया गया। गांव के 10वीं और 12वीं के पुराने छात्रों को इन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जो छात्र पढ़ने में कमजोर थे उन्हें मोहल्ले में पढ़ने के लिए पुराने छात्र पहुंच जाते थे। उन्होंने बताया कि ब्लैक बोर्ड बनवाने में भी ज्यादा राशि खर्च नहीं हुई, केवल एक लीटर पेंट लगा। इसके अलावा चौक और डस्टर भी मैंने पुराने छात्रों को उपलब्ध करवाए, जो मोहल्ले में बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाते थे।

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