Damoh News : ग्रामीणों से सलाह किए बिना उनके गांव को टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में शामिल करने का विरोध दमोह

Damoh Opposition to inclusion of their village in core area of Tiger Reserve without consulting the villagers

बैठक करते ग्रामीण

दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक की चार ग्राम पंचायतों को रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में शामिल करने का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिना उनसे पूछे गांव को टाइगर रिजर्व के एरिया में क्यों जोड़ दिया गया। इसे लेकर ग्रामीणों ने बैठक भी है।

दरअसल, ये ग्राम पंचायतें पहले से नोरादेही सेंचुरी में थीं और अब वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के कोर जोन में शामिल कर दी गई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अभ्यारण्य के अधिकारियों ने उनसे बिना पूछताछ किए और पंचायतों के प्रस्ताव लिए बिना ही उनके गांवों को कोर जोन में शामिल कर दिया, जो गलत है। उन्होंने इस आदेश के विरोध में हाईकोर्ट की शरण ली थी, जिसमें कोर्ट ने अभ्यारण्य के अधिकारियों को यथास्थिति रखने का आदेश जारी किया था। बावजूद इसके, सर्रा, भैसा, बोरिया, कूदपुरा के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। यह बात बैठक के दौरान ग्रामीणों ने रखी।

2023 में ग्रामीणों ने दिया था ज्ञापन

चार ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने अधिकारियों को पूर्व से ही विस्थापन प्रक्रिया में रोक लगाने की मांग को ज्ञापन सौंपे हैं। उन्होंने सितंबर 2023 में सभी सरपंचों के साथ तेंदूखेड़ा एसडीएम को ज्ञापन दिया था, जिसमें कहा गया था कि चार ग्राम पंचायतों में कुल 12 गांव आते हैं जो विस्थापन प्रक्रिया का विरोध करते हैं, इसलिए उन्हें विस्थापन प्रक्रिया से दूर रखा जाए। बाद में तेंदूखेड़ा एसडीएम ने पत्र के माध्यम से नोरादेही के डीएफओ को इस प्रक्रिया से अवगत कराया था, लेकिन इसके बावजूद उनकी पंचायतों को कोर जोन क्षेत्र में शामिल कर दिया गया। इसके बाद वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर अब्दुल अंसारी ने मई 2024 में एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि चार ग्राम पंचायतों के अधीन आने वाले गांव में किसी भी प्रकार की जमीन का क्रय-विक्रय नहीं होगा।

आठ साल से सुविधाएं बंद

मानसिंह यादव ने बताया कि 2017 से चार ग्राम पंचायतों के 12 गांव में अभ्यारण्य के अधिकारियों द्वारा मूलभूत सुविधाओं पर भी अंकुश लगाया गया है। इनमें जमीन का क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध, जल निगम योजना की पाइप लाइन विस्तार पर रोक, रोजगार के लिए शासकीय कार्यों पर प्रतिबंध, नवीन स्कूल भवन निर्माण पर अंकुश और अन्य योजनाओं का लाभ मिलना शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने गांव का विस्थापन नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें अपनी पैतृक भूमि से लगाव है। सुविधाओं पर रोक लगाकर अभ्यारण्य के अधिकारी ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनकी और जानवरों की स्थिति एक जैसी है। जिस तरह अभ्यारण्य के अधिकारी जंगलों में रहने वाले जानवरों की निगरानी करते हैं, उसी तरह गांव में बसे लोगों की भी निगरानी करते हैं। अधिकारियों की इच्छा के अनुसार गांव के लोग कहीं आ-जा नहीं सकते, मवेशियों को जंगलों में चरा नहीं सकते और जमीन को किराए पर भी नहीं दे सकते।

हाईकोर्ट का आदेश हमारे पास नहीं आया

नोरादेही अभ्यारण्य की सर्रा रेंज के रेंजर वीरेंद्र सिंह का कहना है कि सेंचुरी में जो गांव पहले से शामिल होते हैं, उन्हें कोर जोन एरिया में शामिल करने के लिए किसी तरह का प्रस्ताव नहीं लिया जाता। ग्रामीण हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दे रहे हैं, जो आज तक हमारे पास नहीं आया है। अनावश्यक रूप से मेरे द्वारा किसी को परेशान नहीं किया जा रहा है। यदि, कोई आदेश जारी हुआ है तो ग्रामीण मुझे क्यों नहीं दिखा रहे हैं।

कोर्ट का फैसला ही सर्वोपरि होगा

तेंदूखेड़ा एसडीएम अविनाश रावत का कहना है कि पूर्व में मेरे द्वारा पत्राचार किया गया था, लेकिन टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन होने के बाद ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है, इसलिए अब कोर्ट का फैसला ही सर्वोपरि होगा।

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