दमोह जिले के बटियागढ़ क्षेत्र में स्थित भारत के सबसे बडे़ जरारूधाम गौ अभ्यारण में सुप्रसिद्ध संत और मां नर्मदा के भक्त दादागुरु का पहली बार आगमन होने जा रहा है। यहां बड़े स्तर पर कल उनके द्वारा पौधरोपण किया जाएगा। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ अन्य मंत्री और नेता मौजूद रहेंगे। दादागुरू मंगलवार शाम को जरारूधाम गौ अभ्यारण पहुंच गए और बुधवार सुबह 9 बजे से उनके सानिध्य में पौधरोपण शुरू होगा। इस अवसर वह 1705 दिन निराहार के पूर्ण होने पर 1705 पौधे रोपित करेंगे।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार के पंचायत ग्रामीण विकास विभाग और श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति पर्यटन एवं धर्मस्व राज्य मंत्री धर्मेन्द्र सिह लोधी, पशु पालन व डेरी विभाग राज्य मंत्री लखन पटेल, सांसद राहुल सिंह लोधी के साथ पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहेंगे। आयोजन को लेकर जरारूधाम गौ अभ्यारण समीति के अध्यक्ष नरेन्द्र बजाज ने जानकारी देते हुए बताया कि यह सौभाग्य की बात है कि देश के बडे़ संत यहां पधार रहे हैं। आयोजन की तैयारियां पूर्ण कर ली गईं हैं। मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी मंगलवार को शाम के समय दमोह पहुंचेंगे, जहां वह स्थानीय कार्यक्रम में सहभागिता करेंगे। इसके बाद वह जरारूधाम गौ अभ्यारण के लिये प्रस्थान करेंगें व रात्रि विश्राम करेंगे। बुधवार को दादा गुरू के सानिध्य में होने जा रहे पौधरोपण कार्यक्रम में सहभागिता करेंगे।
सबसे बड़ा अभ्यारण है जरारूधाम
दमोह जिले के बटियागढ़ क्षेत्र में स्थित जरारूधाम गौ अभ्यारण देश का विशाल गौ अभ्यारण हैं। जिसका कार्य तत्कालीन दमोह सांसद एवं भारत सरकार के पर्यटन व संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने 2017 में कार्य प्रारंभ किया था। यहां बंजर भूमि पर पौधा रोपित करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी। सड़कों पर आवारा गौवंश को संरक्षित करने के लिए योजना का शुभारंभ हुआ जो आज एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। गौ के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार कार्य चल रहा है। यहां सेवाभावी लोग लगातार श्रमदान करते हैं और लगातार यह नई ऊंचाइयां छू रहा है। इसी विशाल परिसर में पौधरोपण किया जाएगा।
1705 दिन से नहीं लिया आहार
मां नर्मदा के भक्त दादा गुरु ने 1705 दिनों से अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं किया। वह सिर्फ मां नर्मदा का जल पान करते हैं और प्रतिदिन लगभग 30 से 40 किलोमीटर का सफर पैदल तय करते हैं। अनेक बार इस संबध में चिकित्सक वैज्ञानिक भी परिक्षण कर चुके हैं। दादा गुरु का मानना है कि नर्मदा नदी के जल में असाधारण शक्ति है और यह ब्रह्मांड की कई शक्तियों का आधार है वे निराहार रहकर नर्मदा जल पर ही निर्भर हैं और नर्मदा परिक्रमा को एक साधना मानते हैं। उनका कहना है कि नर्मदा को किसी जाति, धर्म या राजनीतिक संगठन से नहीं जोड़ना चाहिए।