निर्माण श्रमिकों के कल्याण हेतु उपकर भुगतान अनिवार्य, अधिनियम 1996 के प्रावधान लागू

Construction Workers Welfare

नर्मदापुरम/28 सितंबर 2025 — भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा प्रदेश में कार्यरत निर्माण श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए उपकर भुगतान को अनिवार्य बनाया गया है। इस प्रावधान का सीधा उद्देश्य निर्माण श्रमिकों को बेहतर जीवन-स्तर, सुरक्षित कार्य वातावरण और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।


Construction Workers Welfare: अधिनियम 1996

भारत सरकार ने भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियमन एवं सेवा शर्त) अधिनियम 1996 को श्रमिकों के कल्याण हेतु लागू किया था। यह अधिनियम विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को ध्यान में रखकर बनाया गया। निर्माण कार्य देश की आर्थिक प्रगति का आधार है, लेकिन इस क्षेत्र में कार्यरत श्रमिक अक्सर असंगठित और असुरक्षित परिस्थितियों में काम करते हैं।

इस अधिनियम का उद्देश्य श्रमिकों को नियोजित सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाना है। इसी अधिनियम के तहत 10 लाख रुपये से अधिक लागत वाले सभी निर्माण कार्यों पर निर्माण लागत का 1% उपकर नियोजकों को मण्डल में जमा करना अनिवार्य है। यह राशि सीधे श्रमिकों के कल्याणकारी कार्यक्रमों में खर्च की जाती है।


उपकर भुगतान का प्रावधान

निर्माण कार्य में नियोजक को निर्माण लागत का 1% उपकर मण्डल में जमा करना होगा। उदाहरण के तौर पर यदि किसी परियोजना की अनुमानित लागत 5 करोड़ रुपये है तो नियोजक को 5 लाख रुपये उपकर के रूप में मण्डल को देना होगा।

यह उपकर भवन निर्माण, सड़क निर्माण, पुल, वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स, सरकारी दफ्तर, औद्योगिक इकाई जैसे सभी बड़े निर्माण कार्यों पर लागू होता है। इसका उद्देश्य निधि एकत्रित कर श्रमिकों के लिए बीमा, चिकित्सा, शिक्षा और पेंशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं को मजबूत करना है।


नियोजकों के दायित्व

अधिनियम की धारा 46 के अनुसार, किसी भी निर्माण कार्य को प्रारंभ करने से कम से कम 30 दिन पूर्व नियोजक को लिखित सूचना संबंधित निरीक्षक को देना आवश्यक है। यदि नियोजक यह सूचना देने में विफल रहता है तो अधिनियम की धारा 50 के अंतर्गत उस पर 3 माह तक का कारावास या 2 हजार रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों दंड एक साथ दिए जा सकते हैं। यह प्रावधान इसीलिए रखा गया है ताकि निर्माण कार्य पूरी तरह नियमानुसार और सुरक्षित ढंग से संचालित हो।


श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रावधान

निर्माण कार्यों में श्रमिकों की जान को सबसे अधिक खतरा रहता है। ऊँचाई पर काम करना, भारी मशीनरी का प्रयोग और असुरक्षित परिस्थितियाँ दुर्घटनाओं की आशंका को बढ़ा देती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए अधिनियम में कई सुरक्षा प्रावधान जोड़े गए हैं:

  • निर्माण स्थल पर सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करना
  • सभी श्रमिकों को हेलमेट, सुरक्षा जूते, दस्ताने, सेफ्टी बेल्ट जैसे उपकरण उपलब्ध कराना
  • नियमित स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना
  • दुर्घटना की स्थिति में त्वरित चिकित्सा सहायता और रिपोर्ट दर्ज करना
  • श्रमिकों के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशिक्षण आयोजित करना

इन उपायों का पालन न केवल कानूनन अनिवार्य है बल्कि इससे दुर्घटनाओं में कमी आती है और श्रमिकों का मनोबल भी बढ़ता है।


उपकर से मिलने वाले लाभ

निर्माण कार्यों से मिलने वाला उपकर सीधा श्रमिकों के कल्याण में खर्च किया जाता है। मण्डल द्वारा जुटाई गई राशि से निम्नलिखित योजनाएं चलाई जाती हैं:

  1. चिकित्सा सहायता – श्रमिकों और उनके परिवार के लिए मुफ्त या रियायती स्वास्थ्य सेवाएं।
  2. शिक्षा सहायता – श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति और सहायता राशि।
  3. आवास योजना – गरीब श्रमिक परिवारों को घर बनाने में आर्थिक सहयोग।
  4. पेंशन योजना – उम्रदराज श्रमिकों के लिए पेंशन की सुविधा।
  5. बीमा योजना – कार्यस्थल पर दुर्घटना होने पर बीमा कवर और मुआवजा।

इन योजनाओं का सीधा लाभ उन श्रमिकों को मिलता है जो दिन-रात निर्माण कार्यों में अपनी मेहनत और जीवन समर्पित करते हैं।


ऑनलाइन भुगतान की सुविधा

नियोजकों के लिए उपकर भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाने हेतु राज्य सरकार ने श्रम सेवा पोर्टल (https://labour.mp.gov.in/Default.aspx) पर ऑनलाइन भुगतान की सुविधा शुरू की है।

नियोजक इस पोर्टल पर जाकर:

  • पंजीकरण कर सकते हैं
  • उपकर की राशि ऑनलाइन जमा कर सकते हैं
  • भुगतान की रसीद और प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकते हैं

इस डिजिटल व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी, समय की बचत होगी और नियोजक आसानी से अपने दायित्व पूरे कर सकेंगे।


उल्लंघन की स्थिति

यदि कोई नियोजक उपकर जमा नहीं करता या अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। निरीक्षक को अधिकार है कि वह निर्माण स्थल पर जाकर नियमों की जांच करे और अनुपालन न होने पर रिपोर्ट दर्ज करे। ऐसी स्थिति में नियोजक पर न केवल आर्थिक दंड लगाया जाएगा बल्कि उसे कारावास का भी सामना करना पड़ सकता है।


श्रमिकों की राय

नर्मदापुरम के एक निर्माण स्थल पर कार्यरत श्रमिक रामलाल का कहना है, “पहले हमें न तो हेलमेट मिलता था, न ही जूते। लेकिन अब मण्डल की सख्ती के बाद हमें सुरक्षा उपकरण दिए जा रहे हैं। दुर्घटना होने पर इलाज का खर्च भी सरकार उठाती है।” इसी तरह एक महिला श्रमिक कमला बाई बताती हैं कि उनकी बेटी को शिक्षा सहायता योजना के तहत छात्रवृत्ति मिली है। इससे उनके परिवार को आर्थिक राहत मिली है।


भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम 1996 के तहत लागू उपकर प्रणाली श्रमिकों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रही है। 10 लाख रुपये से अधिक के निर्माण कार्यों पर 1% उपकर जमा करना नियोजकों के लिए भले ही अतिरिक्त जिम्मेदारी हो, लेकिन इसका प्रत्यक्ष लाभ लाखों निर्माण श्रमिकों और उनके परिवारों को मिल रहा है।

सुरक्षा उपकरण, चिकित्सा सुविधा, शिक्षा, बीमा और पेंशन जैसे लाभ श्रमिक वर्ग को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था से नियोजकों की परेशानी भी कम हुई है और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी है। यह कहना उचित होगा कि यह उपकर केवल आर्थिक दायित्व नहीं है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है। जब श्रमिक सुरक्षित और संतुष्ट रहेंगे तो निर्माण कार्य भी गुणवत्ता और गति दोनों में आगे बढ़ेंगे। इस प्रकार, श्रमिक कल्याण के लिए उपकर भुगतान न केवल कानूनी अनिवार्यता है बल्कि सामाजिक न्याय और मानवता की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम भी है।

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